खींचतान के बीच कांग्रेस को आई संगठन की सुध:कांग्रेस में साढ़े 11 महीने बाद जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की कवायद, अजय माकन ने आज शाम तक सीधे पदाधिकारियों से मांगे पैनल

कांग्रेस में साल भर से भंग चल रहे जिला और ब्लॉक स्तर के संगठन पर पार्टी में आवाजें उठने के बाद अब जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर कवायद शुरू हो गई है। प्रदेश प्रभारी माकन ने सभी पार्टी पदाधिकारियों और जिला प्रभारियों से जिलाध्यक्ष के नामों का पैनल मांगा है। पैनल आज शाम तक भेजना है। करीब 24 जिलों का पैनल अब तक भेजा जा चुका है, बाकी का आज शाम तक भेजा जाना है।
प्रभारी अजय माकन और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जून अंत तक जिला और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति का दावा किया था, वह डेडलाइन अब निकल चुकी है। कई बार माकन और डोटासरा जल्द जिला और ब्लॉक अध्यक्ष बनाने का दावा कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस में अंदरूनी खींचतान के कारण संगठन ही नहीं बन पाया। प्रदेश प्रभारी माकन ने सीधे पैनल मांगा है, जबकि आमतौर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी पैनल भेजती है। इसके पीछे सचिन पायलट खेमे के दबाव को भी एक वजह माना जा रहा है।
साल भर से ग्रासरूट पर बिना संगठन कांग्रेस
कांग्रेस में पिछले साल सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद 16 जुलाई से जिला और ब्लॉक के संगठन भंग है। पिछले साढे़ 11 महीने से कांग्रेस में जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष, जिला और ब्लॉक कार्यकारिणी भंग हैं। केवल प्रदेशाध्यक्ष और 39 प्रदेश पदाधिकारी ही संगठन चला रहे हैं।
पायलट समर्थक नेता ब्लॉक-जिला संगठन नहीं होने पर उठा चुके सवाल
सचिन पायलट खेमे के कई नेता साल भर से जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन नहीं होने पर सवाल उठा चुके हैं। पिछले दिनों दांतारामगढ़ विधायक वीरेंद्र सिंह, चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन पदाधिकारी नहीं होने पर सवाल उठाते हुए जल्द नियुक्तियां करने की मांग की थी। कल वर्चुअल बैठक में भी यह मुद्दा उठा था।
पायलट खेमे के दबाव को माना जा रहा है देरी का कारण
कांग्रेस में यह पहला मौका है जब सालभर तक जिला और ब्लॉक बिना संगठन पदाधिकारियों के हैं। जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष और इनकी कार्यकारिणी नहीं बनने का सबसे बड़ा कारण कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों की खींचतान को माना जा रहा है। कांग्रेस ने निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव और विधानसभा उपचुनाव भी बिना जिला और ब्लॉक पर संगठन बनाए लड़ लिए। सचिन पायलट खेमे को भी जिला और ब्लॉक संगठन में जगह देनी पड़ेगी, इसी खींचतान के कारण लंबे समय से जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष नहीं बन पाए। अब भी दोनों खेमों के बीच संतुलन बना पाना प्रदेश प्रभारी के लिए आसान नहीं माना जा रहा है।
माकन के सामने अब दोनों खेमों को साधना बड़ी चुनौती
जिलाध्यक्षों का पैनल मंगवाने के बाद प्रभारी अजय माकन के सामने सबसे बड़ी चुनौती अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों को संतुष्ट करने की है। दोनों ही खेमे अपने अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने की पैरवी कर रहे हैं। पीसीसी की बजाय माकन ने सीधे पैनल मंगवाया है, इसके पीछे भी खींचतान को ही कारण बताया जा रहा है।