Sun. Jun 15th, 2025

हरीश-प्रीतम में शह-मात के खेल में उलझी नियुक्तियां, नहीं हो पाई नेता प्रतिपक्ष और नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा

उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष और नए अध्यक्ष के चयन की मशक्कत अब प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच शह-मात के खेल मे तब्दील हो चुकी है। इसी वजह से मंगलवार को भी उक्त दोनों पद पर नई नियुक्तियां परवान नहीं चढ़ सकी। दिनभर विधायकों की प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव एवं सह प्रभारियों के साथ बैठकों का दौर चला। अलबत्ता यह तय हो चुका है कि प्रीतम सिंह प्रदेश अध्यक्ष की जगह नेता प्रतिपक्ष का पद संभालेंगे। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी कुमाऊं मंडल से होगी। इस पद के लिए पूर्व विधायक मनोज तिवारी, हेमेश खर्कवाल, प्रदेश महामंत्री भुवन कापड़ी और पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी में से किसी एक के नाम पर मुहर लगने की संभावना है।

प्रदेश में रिक्त हुए नेता प्रतिपक्ष के चयन की प्रक्रिया ने प्रदेश संगठन के अध्यक्ष पद को भी अपनी चपेट में ले लिया है। हालांकि इस खींचतान के चलते दोनों दिग्गज नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के खेमों में पार्टी बंट चुकी है। प्रदेश कांग्रेस विधायक दल की बीती रात हुई बैठक में उक्त दोनों पदों पर फैसला लेने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अधिकृत किया जा चुका है।

कांग्रेस हाईकमान इन दोनों ही पदों को लेकर अपने स्तर पर फीडबैक लेता रहा। सूत्रों के मुताबिक मंगलवार दोपहर विधायकों के साथ बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने पार्टी हाईकमान को संशोधित प्रस्ताव भी भेजा। दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव संचालन समिति की कमान सौंपी जानी है। हरीश रावत इस जिम्मेदारी के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष उनकी पसंद से तय किए जाने पर जोर दे रहे हैं।

प्रीतम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपने को लेकर पार्टी पर दबाव बनाने में हरीश रावत खेमे की भूमिका अहम रही है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पद से हटाने और नेता प्रतिपक्ष की नई जिम्मेदारी सौंपने पर हामी तो भरी है, लेकिन शर्त भी रखी है। प्रीतम अध्यक्ष पद पर अपनी पसंद की नियुक्ति चाहते हैं। भुवन कापड़ी को उनकी पसंद बताया जा रहा है। चुनाव के मौके पर पार्टी किसी भी खेमे को नाराज करने के पक्ष में नहीं है।

सूत्रों के मुताबिक दिनभर मशक्कत के बाद दिल्ली में मौजूद विधायकों को वापस लौटने को कहा जा चुका है। हाईकमान के निर्देश के बाद हरिद्वार जिले के विधायकों ने वापसी की राह पकड़ ली। अभी एक गुट के विधायक मंगलवार रात्रि उत्तराखंड सदन में ही ठहरे हैं। उनके बुधवार को वापस होने की सूचना है। बुधवार को नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पद पर पार्टी हाईकमान की मुहर लग सकती है।

 

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