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सामान्य से 26% ज्यादा बरसे बादल; सबसे अधिक 412 मिलीमीटर बारिश कोरबा में हुई, जुलाई में और ज्यादा पानी गिरने के आसार

छत्तीसगढ़ में इस बार भी जून का महीना मानसूनी फुहारों की वजह से बदला-बदला रहा। दक्षिण-पश्चिम मानसून समय से पहले पहुंचा और प्रदेश पर छा गया। इसके प्रभाव से प्रदेश में सामान्य से 26 प्रतिशत अधिक बरसात हुई। सबसे अधिक बरसात सुकमा और कोरबा जिलों में दर्ज की गई। इस बरसात में शहर के बाजार से गांव के खेत-जंगल सब तरबतर हो गए।

छत्तीसगढ़ में सामान्य तौर 16 जून से दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगमन माना जाता है। इस बार मानसून का सामान्य से करीब 6 दिन पहले यानी 9-10 जून को आ गया था। उससे पहले भी स्थानीय तंत्र के प्रभाव से प्रदेश के कई हिस्सों में छिटपुट बरसात जारी थी।

मौसम विभाग के मुताबिक एक जून से 30 जून के बीच प्रदेश में औसतन 244.4 मिलीमीटर बरसात हुई है। इस अवधि में प्रदेश की सामान्य औसत बरसात 193 मिलीमीटर ही है। यह सामान्य से 26 प्रतिशत अधिक है। इस महीने में सबसे अधिक 412 मिलीमीटर बरसात कोरबा जिले में हुई है। यह सामान्य से 102 फीसदी अधिक है। सुकमा में 122 प्रतिशत अधिक बरसात हुई। बस्तर में सामान्य से 38 प्रतिशत , दंतेवाड़ा में 14 और सरगुजा में 15 प्रतिशत कम बरसात हुई है।

मौसम विभाग ने मानसून के 10 जून तक रायपुर पहुंच जाने की संभावना जताई थी। केरल तट तक पहुंचने में मानसून को देर हुई तो इसको दो दिन आगे खिसकने की संभावना बनने लगी थी। लेकिन 9-10 जून की रात 13 स्टेशनों पर भारी बारिश हुई। उसी के साथ मौसम विभाग ने मानसून के सक्रिय हो जाने की घोषणा कर दी। अगले दो दिनों में मानसून पूरे प्रदेश में छा गया।

रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी एचपी चंद्रा बताते हैं कि इस वर्ष मानसून बहुत अच्छा रहा। शुरुआत में ही अच्छी बरसात हुई है। अगले कुछ दिन तक बरसात के रास्ते में थोड़ी रुकावट बन रही है। ऐसे में छिटपुट बादल बनेंगे और बरसात होगी। कुछ दिन रुककर फिर से अच्छी बरसात की संभावना अभी बनी हुई है।

 

जुलाई में बेहतर बरसात की उम्मीद

मौसम विभाग का अनुमान है कि जुलाई में भी बेहतर बरसात होगी। रायपुर में जुलाई में मासिक वर्षा का सामान्य औसत 326 मिलीमीटर है। महीने भर में कुल 14-15 दिन बरसात हो ही जाती है। एक दिन में सामान्य तौर से 10 से 30 मिलीमीटर तक बरसात होती है। बंगाल की खाड़ी से उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर अवदाब की स्थिति में यहां दो दिनों तक लगातार बरसात भी होती है। पिछले वर्षों में ऐसे ही माहौल में 70 से 120 मिलीमीटर की भारी बरसात भी दर्ज हुई है।

6 जिलों में बहुत अधिक बरसात
प्रदेश के 6 जिले ऐसे हैं जहां पिछले 10 वर्षों की औसत बरसात से बहुत अधिक पानी बरसा है। इसमें बलौदा बाजार में 97 प्रतिशत अधिक, बेमेतरा में 80 प्रतिशत, दुर्ग में 60 प्रतिशत, कबीरधाम में 79 प्रतिशत, कोरबा में 102 प्रतिशत और सुकमा में 122 प्रतिशत अधिक बरसात हुई है। 10 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से थोड़ा अधिक पानी बरसा है।

10 जिलों में सामान्य वर्षा, एक जिले में कम
प्रदेश के राजनांदगांव, अम्बिकापुर, दंतेवाड़ा, जशपुर, कांकेर, कोण्डागांव, महासमुंद, मुंगेली, रायगढ़, नारायणपुर जिलों में सामान्य बरसात हुई है। मतलब पिछले 10 वर्षों की औसत बरसात के बराबर। लेकिन बस्तर जिले में सामान्य से 38 प्रतिशत कम बरसात हुई है। यह प्रदेश का एकमात्र जिला है जहां कम वर्षा दर्ज हुई है।

जलाशयों में सामान्य से अधिक पानी
पूरे प्रदेश में हुई बरसात का असर नदी-नालों और उन पर बने बांधों-जलाशयों पर पड़ा है। कोरबा के मिनीमाता बांगों जलाशय में क्षमता का 59 प्रतिशत पानी भर गया है। पिछले 10 वर्षों में जून के आखिर तक जलाशय में जलभराव का औसत 57 प्रतिशत ही है। महानदी में 43 प्रतिशत पानी है। पिछले वर्ष इसी महीने में यह 46 प्रतिशत था। जबकि 10 वर्षों का औसत भराव 24 प्रतिशत ही है। दुधवा बांध में 19 प्रतिशत पानी भरा है। यहां औसत जलभराव 23 प्रतिशत का है।

खेती-किसानी ने भी पकड़ी रफ्तार
समय से बरसात हो जाने से खेतों में खरीफ की बोवनी का काम भी तेज हुआ है। इस सीजन में प्रदेश के लगभग 48 लाख हेक्टेयर में विभिन्न फसलों की बुआई की जाती है। खरीफ में धान एवं अन्य अनाज लगभग 40.50 लाख हेक्टेयर, दलहन 3.76 लाख हेक्टेयर, तिलहन 2.55 लाख हेक्टेयर तथा अन्य फसल 1.32 लाख हेक्टेयर में बोई जाती है। बताया जा रहा है कि अभी तक 35 प्रतिशत खेतों में बोनी पूरी हो चुकी है।

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