माकन के बुलावे का इंतजार:बसपा-निर्दलीय विधायकों को सरकार में अहमियत देने से नाराज कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं का दिल्ली में डेरा
सत्ता और संगठन में अनदेखी से नाराज होकर पिछले दिनाें सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी लिखने वाले कांग्रेस के 15 नेताओं ने अब आलाकमान से मुलाकात के लिए दिल्ली में डेरा जमा लिया है।
पायलट समर्थकों के सुर में सुर मिलने वाले इन नेताओं ने प्रदेश की गहलोत सरकार पर आरोप लगाया था कि यहां बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों और निर्दलीय विधायकों को सरकार में ज्यादा अहमियत मिल रही है और मूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। इन नेताओं को अभी अजय माकन की ओर से बुलावे का इंतजार है।
बताया जा रहा है कि असंतुष्ट नेताओं की गुरुवार को प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मुलाकात हो सकती है, जहां असंतुष्ट नेता बसपा और निर्दलीय विधायकों को सरकार में ज्यादा अहमियत मिलने को लेकर अपनी नाराजगी जता सकते हैं।
दिल्ली पहुंचे नेताओं में कांग्रेस नेता मनीष यादव, दौलत मीणा, सुभाष मील और रितेश बेरवा प्रमुख हैं। यह चारों नेता 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में इन्हें हार का सामना करना पड़ा था और इनके सामने निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी।
कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं रखा जा रहा दूर
दिल्ली पहुंचे कांग्रेस के असंतुष्ट नेता मनीष यादव ने कहा कि विधानसभा चुनाव में जिन 19 सीटों पर पर कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है, उनमें बसपा और निर्दलीय प्रत्याशियों से चुनाव हारे हैं, लेकिन सरकार में जिस तरह से समर्थन देने के नाम पर बसपा और निर्दलीय प्रत्याशियों को अहमियत मिल रही है, वो दुखदायी है। हमारे जैसे लोगों और पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है, उससे पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं में रोष है।
बसपा और निर्दलीय विधायकों को सत्ता और संगठन में महत्व मिल रहा है जबकि कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दूर रखा जा रहा है। यादव ने कहा कि कांग्रेस के निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ताओं की आवाज प्रदेश प्रभारी अजय माकन के समक्ष उठाएंगे।
22 जून को लिखी थी सोनिया गांधी को चिट्ठी
सत्ता और संगठन में अपनी उपेक्षा होने और बसपा से कांग्रेस में विधायकों और निर्दलीय विधायकों को सरकार में अहमिय़त मिलने से नाराज होकर कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके 15 नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी।
सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया था कि स्थानीय निकायों में पार्षदों का मनोनयन और अन्य काम बसपा और निर्दलीय विधायकों की राय से हो रहे हैं, जबकि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े नेताओं को सत्ता और संगठन में दूर रखा जा रहा है।