मानसून का एक माह:जून में 139.9 मिमी बारिश, जरूरत से 18.6 मिमी ज्यादा, अब जुलाई के दूसरे सप्ताह में अच्छी बारिश के आसार
11 जून को मानसून के सक्रिय होने के बाद भी इस बार अच्छी बारिश नहीं हो सकी। जून के महीने के आखिरी दिन तक बारिश का आंकड़ा 135.9 मिमी तक ही पहुंच पाया है। जो पिछले साल से महज 18.6 मिमी ज्यादा है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जुलाई के पहले सप्ताह में भी अभी यही स्थिति बनी रहेगी। 7 जुलाई के बाद मौसम में बदलाव होने की संभावना जताई गई है। अच्छी बारिश की उम्मीद है। हालांकि बीच-बीच में खंड बारिश होने की संभावनाएं भी बन रही है, जो लोकल वेदर सिस्टम से होगी। मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को अधिकतम तापमान 37.3 डिग्री दर्ज किया गया है, जो सामान्य से 4 डिग्री ज्यादा रहा। न्यूनतम तापमान 26.0 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 2 डिग्री ज्यादा रहा है। मौसम में सुबह की आर्द्रता 69% और शाम की 60% दर्ज की गई है। 24 घंटे में दिन के तापमान में 0.9 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि रात का तापमान स्थिर रहा।
पिछले साल से 9 मिमी ही ज्यादा बारिश
अभी तक 135.9 मिमी (5.3 इंच) कुल बारिश जून के आखिरी दिन तक दर्ज की गई, जो पिछले साल से 9 मिमी (0.3 इंच) ज्यादा है। हालांकि औसत बारिश 117.3 मिमी (यानी 30 जून तक होने वाली बारिश ) से 18.6 मिमी (0.7 इंच) ज्यादा है। इस बार जून के महीने में समय के पहले मानसून सक्रिय हो जाने के बाद भी अभी तक अच्छी बारिश नहीं हो पाई है। पिछले साल भी 30 जून तक बारिश का आंकड़ा 126.9 मिमी (4.9 इंच) था।
राजघाट में पर्याप्त पानी
बारिश लेट हुई तो भी नहीं होगा जल संकट
राजघाट बांध में पिछले साल की तुलना में इस बार काफी पानी है। अगर बारिश लेट भी होती है तो इसी पानी से शहर में करीब 8 महीने से ज्यादा एक दिन छोड़ दूसरे दिन सप्लाई की जा सकती है। राजघाट का जल स्तर 30 जून को 512.50 मीटर रिकॉर्ड में लिया गया है। जबकि पिछले साल 508.27 मीटर था। यानी पिछले साल से 4.23 मीटर ज्यादा पानी है।
कई स्थानों पर बारिश, फसलों के लिए अनुकूल
जिले में 5.92 लाख हेक्टेयर में फसलों की बोवनी की जाना है। जिसमें से अभी तक 2 लाख हेक्टेयर बोवनी ही की गई है। डीडीए बीएल मालवीय का कहना है कि 35 से 40% के रकबा में ही बोवनी हो चुकी है। इस सप्ताह किसान अधिकांश बोवनी करेंगे।
उधर, कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी का कहना है कि जहां ज्यादा बारिश हुई है। वहीं किसानों ने बोवनी की है। वहां खेतों में नमी है, अगर आने वाले दिनों में जो बारिश हुई तो वह फसल के लिए सहायक होगी। सागर में भी बारिश फसल के लिए सहायक है। अगर 10 दिन बारिश नहीं हुई तो फसलों की ग्रोथ नहीं होगी। बोवनी करने वाले किसानों की परेशानियां बढ़ जाएगी।