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सिंगल डोज वैक्सीन में देरी:कोरोना की वैक्सीन स्पुतनिक लाइट को इमरजेंसी यूज की मंजूरी नहीं, ड्रग रेगुलेटर ने रूस में हुए फेज-3 ट्रायल का डेटा मांगा

भारत के ड्रग रेगुलेटर ने रूस की वैक्सीन स्पुतनिक लाइट को इमरजेंसी अप्रूवल देने से इनकार कर दिया है। अथॉरिटी ने सिंगल डोज वाली इस वैक्सीन के फेज -3 ट्रायल कराने की जरूरत को भी खारिज कर दिया है। इस मसले पर सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) की बैठक हुई थी।

कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक, स्पुतनिक लाइट और स्पुतनिक-V में कंपोनेंट-1 एक जैसा है। स्पुतनिक V का सेफ्टी और इम्यूनिटी डेटा पहले ही भारतीय आबादी पर किए ट्रायल से मिल चुका है। इसे भारत ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी भी मिली है। फिर अलग और एक जैसा ट्रायल कराने के लिए अधूरा डेटा और औचित्य सही नहीं लगता।

डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने मंजूरी मांगी थी
SEC की सिफारिशों को गुरुवार को सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने DCGI को एक प्रपोजल दिया था। इसमें स्पुतनिक लाइट के मार्केट अथॉराइजेशन की मांग की गई थी। इसके लिए रूस में हुए फेज 1 और 2 ट्रायल का डेटा और भारत में फेज 3 के क्लिनिकल ट्रायल कराने का प्रोटोकॉल पेश किया गया था।

CDSCO की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने इस एप्लीकेशन पर विचार किया। इसके बाद कमेटी ने सिफारिश की है कि फर्म को वैक्सीन के मार्केट अथॉराइजेशन के लिए स्पुतनिक लाइट का फेज-3 ट्रायल का सेफ्टी और एफिकेसी डेटा पेश करना चाहिए। यह ट्रायल रूस में हुआ है, लेकिन इसका डेटा नहीं दिया गया है।

स्पुतनिक लाइट 79.4% असरदार

रूस की स्पुतनिक V का यूरोप और अमेरिका को छोड़कर दुनिया के 60 देशों में इस्तेमाल हो रहा है। स्पुतनिक V को बनाने वाले मॉस्को के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने सिंगल डोज वैक्सीन स्पुतनिक लाइट नाम से बनाई है। यह कोरोना के संक्रमण से लड़ने में 79.4% कारगर है।

कोरोना के सभी स्ट्रेन पर प्रभावी
इस वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल में 7000 लोगों को शामिल किया गया है। ट्रायल रूस, UAE और घाना में हुए। 28 दिन बाद इसका डेटा एनालाइज किया गया। नतीजों में पाया गया कि यह वैक्सीन वायरस के सभी नए स्ट्रेन पर असरदार है। इसका डेटा बता रहा है कि यह कई दूसरी डबल डोज वैक्सीन से ज्यादा असरदार है।

स्पुतनिक लाइट इसलिए खास…

  • इसकी ओवरऑल एफिकेसी 79.4% है। वैक्सीन लगवाने वाले 100% लोगों में 10 दिन बाद ही एंटीबॉडीज 40 गुना तक बढ़ गईं।
  • वैक्सीन लगवाने वाले सभी लोगों में कोरोना वायरस के S-प्रोटीन के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स डेवलप हुआ।
  • इस वैक्सीन के सिंगल डोज होने की वजह से बड़ी आबादी वाले देशों में वैक्सीनेशन रेट बढ़ाया जा सकेगा।
  • स्पुतनिक लाइट को 2 से 8 डिग्री टेम्प्रेचर पर स्टोर किया जा सकता है। इससे यह आसानी से ट्रांसपोर्ट हो सकेगी।
  • जिन लोगों को पहले कोरोना संक्रमण हो चुका है, ये वैक्सीन उन पर भी असरदार है।
  • वैक्सीन लगवाने के बाद कोरोना के गंभीर असर का खतरा कम हो जाएगा। ज्यादातर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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