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बारिश में देरी से सूख रही फसलें:मौसम विभाग बता रहा 7 जुलाई तक आएगी बारिश, किसान बोले- तब तक तो सूख जाएगी हमारी 50 करोड़ की फसलें

मानसून की बेरूखी से इस बार दूदू फागी के किसानों के सपने लहलहाने से पहले ही जमींदोज होते नजर आ रहे हैं। किसानों ने ताऊ ते तूफान के दौरान आई बारिश के बाद ही बंपर पैदावार की उम्मीद में जुताई कर खरीफ की फसल की बुवाई कर दी। अब बारिश नहीं होने से फसल उगते ही मुरझाने लगी है। कई खेतों में तो नष्ट होती जा रही है। कृषि अधिकारी व किसानों मुताबिक तो पिछले साल 5 जुलाई के बाद बारिश हुई और खरीफ फसल की बुवाई हुई थी। इस बार 20 दिन अगेती बुवाई से किसानों के लिए बर्बादी का कारण बन रही है। तापमान अधिक होने की वजह से जमीन की नमी सूखने लगी है।‌

बारिश नहीं हुई तो किसानों को होगा भारी नुकसान: बारिश के बिना खरीफ फसल का बीज अंकुरित होने के साथ ही मुरझाने लगा है। एक सप्ताह से पारा भी बढ़ रहा है। इसके चलते अगर 5 दिन में बारिश नहीं हुई तो किसानों को 50 करोड का नुकसान हो जाएगा। 2 लाख हेक्टेयर फसल की बुवाई व बीज सहित अन्य खर्चे की अनुमानित लागत करीब 50 करोड़ रुपए आई है। ज्यादातर खेतों में फसल चौपट हो गई है। किसान नेताओं ने बताया कि अगर बारिश नहीं हुई तो फसल नष्ट होने से हजारों किसान कर्ज में डूब जाएंगे। रेनवाल मांजी भाजपा मंडल अध्यक्ष महेश चौधरी व माधोराजपुरा मंडल अध्यक्ष रामेश्वर मीणा ने कांग्रेस सरकार से किसानों के लिए मुआवजा की मांग की है।

2 लाख हेक्टेयर भूमि में हुई बुवाई : दूदू व फागी के कृषि अधिकारियों ने बताया कि दूदू फागी में इस बार करीब 2 लाख हेक्टेयर भूमि पर मूंग, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंगफली की बुवाई हुई है। पिछले साल से इस बार 10 फ़ीसदी जमीन पर अधिक बुवाई की गई है। दूदू फागी में करीब एक लाख हेक्टेयर में मूंग, पचास हजार हेक्टेयर में ज्वार व पचास हजार हेक्टेयर भूमि में मक्का, मूंगफली, व बाजरा सहित अन्य फसलों की बुवाई हुई है।

ताऊ ते चक्रवात और प्री मानसून की पहली बरसात के बाद जिले में नहीं बरसे मेघ
चौमू / जोबनेर|मानसून के अटके रहने और जिले में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आस पास रहने से खेतों में अब तक बोई गई फसलों को लेकर किसानों की चिंता बढ़ा दी है। कृषि विभाग की माने तो यदि तापमान की स्थिति ऐसी ही रही और 5 जुलाई तक बरसात नहीं हुई, तो फसलें गर्मी से झुलसने के कागार पर आ जाएगी।

जिले के कृषि विस्तार झोटवाड़ा क्षेत्र के 6 ब्लॉकों में अब तक 59 प्रतिशत बुवाई हो चुकी है। कृषि विभाग झोटवाड़ा के सहायक निदेशक डॉ. रामदयाल यादव ने बताया कि ताऊ ते चक्रवात के दौरान हुई अच्छी बरसात और कुछ स्थानों पर प्री मानसून की बरसात होने के बाद किसानों ने खेतों में बिजाई कर दी थी, लेकिन तापमान बढ़ जाने और बरसात नहीं आने के कारण जमीन में से नमी समाप्त होती जा रही है। जिन फसलों की सिंचाई नहीं हुई और यदि 5 जुलाई तक बरसात नहीं होती है तो फसलें झुलस कर नष्ट हो जाएगी।

अब तक इन फसलों की बुवाई: झोटवाड़ा कृषि विस्तार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले झोटवाड़ा, आमेर, जालसू, गोविंदगढ़, सांभर लेक, दूदू ब्लॉक में पिछले वर्ष कुल 2 लाख 65 हजार 787 हेक्टेयर भूमि में फसलें बोई गई थी। इस बार अब तक 1 लाख 57 हजार 157 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। जिसमें असिंचित क्षेत्र में बोई गई फसलों को बरसात के पानी की बहुत अधिक आवश्यकता हो गई है।

पारा 35 डिग्री से ऊपर होने बाद खरीफ फसलों में नुकसान

जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसी शिवरान व डॉ.बोलता राम ने बताया कि मूंगफली में 25 से 30 डिग्री तापमान ग्रोथ के लिए ठीक है। 35 डिग्री से ऊपर पर फसल को नुकसान होने की संभावना रहती है। 40 डिग्री बाद फसल झुलसने लगती है। वहीं इतने अधिक तापमान पर बीज अंकुरित नहीं हो पाते है।

बाजरे में 35 डिग्री तक तापमान ठीक है लेकिन इससे ऊपर जाने पर फसल झुलसना शुरु जाती है। ऐसा ही मूंग की फसल में भी 30 डिग्री तापमान पर्याप्त माना जाता है, लेकिन इससे ऊपर जाने पर फसल को झुलसने का खतरा बढ़ जाता है। पछेती फसल में 40 डिग्री पर मूंगफली मूंग व बाजरा के बीज अंकुरित ही नहीं हो पाते है। ऐसे समय में बीज बोने के बाद पानी का छिड़काव लगाना जरूरी होता है।

 

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