Mon. Jun 16th, 2025

घाटा खत्म होने तक रोडवेज में आधा वेतन, मैदानी मार्गों पर भविष्य में चलेंगी सीएनजी बसें

देहरादून। करीब सवा पांच सौ करोड़ रुपये के घाटे में चल रहे रोडवेज में वेतन का संकट दूर करने के लिए समस्त कार्मिकों की तनख्वाह को आधी करने की तैयारी चल रही। शासन ने इस पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। ऐसे में यह तय किया गया कि वित्तीय स्थिति में सुधार होने और बस संचालन सुचारू होने तक तनख्वाह आधी दी जाएगी। दरअसल, शासन ने कहा है कि कुछ न मिलने से बेहतर है कि आधी तनख्वाह समय से मिलती रहे। स्थिति सुधरने पर किश्तों में एरियर के जरिये काटी गई पूरी धनराशि दे दी जाएगी। वहीं, खर्च में कटौती के लिए बस अड्डों का प्राइवेट पाटर्नरशिप यानी पीपीपी मोड में निजी कंपनी के अधीन संचालन किया जाएगा। इसके साथ ही अब मैदानी मार्गों पर सिर्फ सीएनजी बसों का ही संचालन होगा। इसके लिए पुरानी दस बसों में सीएनजी किट लगाकर ट्रायल होगा और भविष्य में मैदानी मार्गों के लिए सीएनजी से संचालित नई बसों की ही खरीद होगी।

रोडवेज की आर्थिक स्थिति सुधारने और वेतन का संकट दूर करने के लिए सोमवार को सचिवालय में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में रोडवेज के निदेशक मंडल की बैठक (बोर्ड बैठक) हुई। असल में हाईकोर्ट ने शासन को आदेश दिए हैं कि रोडवेज के लिए ऐसा ठोस प्लान तैयार करें, जिसमें रोडवेज कर्मचारियों को दिसंबर तक वेतन देने की व्यवस्था हो।

दरअसल, बीते एक साल से कोरोना के दुष्प्रभाव के कारण रोडवेज का घाटा इतना बढ़ गया है कि वह वेतन तक देने में सक्षम नहीं। बीते साल से लेकर इस साल फरवरी तक का वेतन राज्य सरकार से मिले आर्थिक सहयोग पर दिया जा सका। इसमें भी जनवरी एवं फरवरी का वेतन गुजरे 15 दिनों में जारी हुआ। मौजूदा समय में रोडवेज प्रबंधन पर फिर चार माह का वेतन और सेवानिवृत्त कर्मियों के देयकों का भुगतान लंबित है, जिसके लिए रोडवेज को 150 करोड़ रुपये की जरूरत है। ऐसे में सोमवार को हुई बोर्ड बैठक में तय हुआ कि खर्चों में सभी मुमकिन कटौती की जाए। यह भी तय हुआ कि वित्तीय हालात सुधरने तक कार्मिकों को फिलहाल तनख्वाह आधी दी जाए।

ईंधन खर्च बचाने के लिए भविष्य में मैदानी मार्गों पर केवल सीएनजी बसें चलाने का फैसला लिया गया। पर्वतीय मार्गों पर पिक-अप के कारण डीजल बसों का ही संचालन होगा। बैठक में परिवहन सचिव डा. रणजीत सिन्हा, प्रबंध निदेशक रोडवेज अभिषेक रुहेला, अपर सचिव वित्त अमिता जोशी, अपर सचिव पर्यटन व अपर सचिव लोनिवि, महाप्रबंधक रोडवेज मौजूद रहे।

बोर्ड बैठक में यह भी लिए गए फैसले

  • वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाने के लिए रोडवेज को 151.88 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देने का प्रस्ताव मंजूर किया गया। यह प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा जाएगा।
  • गलत एसीपी व वेतन वृद्धि के मामलों में त्रुटि तत्काल दूर करने के बाद ही वेतन दिया जाएगा।
  • अब जो भी वेतन मिलेगा वह आनलाइन साफ्टवेयर के माध्यम से बनेगा। अभी तक वेतन मैनुअली बनाया जाता था।
  • बस अड्डों का संचालन पीपीपी मोड पर होगा। वहां तैनात कर्मचारियों को बसों के संचालन कार्य में लगाया जाएगा।
  • गांधी रोड स्थित पुराने बस अड्डे और मंडलीय प्रबंधक कार्यालय की भूमि बेचने से पूर्व एमडीडीए व पर्यटन विभाग के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। संयुक्त प्लान तैयार कर शासन को भेजा जाएगा।
  • समान वेतनमान के पदों को विलय करने के लिए सहमति बनी। शासन अंतिम निर्णय लेगा।
  • सीधी भर्ती के 24 पदों पर चयनित हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का प्रस्ताव राज्य कैबिनेट में जाएगा।

अभिषेक रुहेला (प्रबंध निदेशक, उत्तराखंड रोडवेज) का कहना है कि जब तक बैठक का कार्यवृत्त जारी नहीं हो जाता, तब तक कुछ नहीं कह सकता, मगर इतना जरूर है कि खर्चों में कटौती के लिए कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। वेतन न मिलने से बेहतर है कि कुछ तो मिले। बोर्ड बैठक में जो भी निर्णय लिए गए हैं या फिर प्रस्ताव मंजूर हुए हैं, उनका कार्यवृत्त अगले 24 घंटे में जारी कर दिया जाएगा।

अशोक चौधरी (प्रदेश महामंत्री उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन) का कहना है कि मौजूदा समय में वेतन का मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। अगर प्रबंधन वेतन आधा करने का फैसला करता है तो विधिक राय लेकर कर्मचारी यूनियन अपना निर्णय करेगी।

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