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मच्छर के काटने से होने वाली इस खतरनाक बीमारी के बारे में जानिए सब कुछ

केरल में गुरुवार को जीका वायरस का पहला मामला सामने आया है. तिरुवनंतपुरम जिले की रहने वाली गर्भवती महिला के ब्लड सैंपल में वायरस की आधिकारिक रूप से पुष्टि हुई. 28 जून को महिला निजी अस्पताल में बुखार, सिर दर्द और शरीर पर चकत्ते के साथ भर्ती हुई थी. टेस्ट से उसके पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई जिसके बाद सैंपल को पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को भेज दिए गए. गर्भावधि के अपने अंतिम सप्ताह में महिला ने जन्म दिया है और बताया जाता है कि बच्चा स्वस्थ है.

क्या है जीका वायरस और कैसे फैलता है?
जीका, मच्छर-जनित वायरल संक्रमण है. ये मुख्य रूप से संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है. एडीज मच्छर से ही डेंगू, चिकनगुनिया और पीला बुखार का ट्रांसमिशन होता है. जीका वायरस गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में गर्भवास्था के दौरान फैल सकता है और इसके कारण बच्चा अविकसित दिमाग के साथ पैदा हो सकता है. बीमारी अधिकतर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है.

एडीज मच्छर आम तौर से दिन के समय, खास कर सुबह और शाम में काटने के लिए जाना जाता है. ब्राजील ने अक्टूबर 2015 में माइक्रोसेफली और जीका वायरस संक्रमण के बीच संबंध दर्ज की थी. वर्तमान में 86 देश और क्षेत्रों ने मच्छर के फैलाव से जीका वायरस के सबूत बताए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 1947 में पहली बार बंदरों में जीका वायरस की पहचान हुई थी. बाद में 1952 में यूगांडा और तंजानिया में संक्रमण के मामले दर्ज किए गए. जीका वायरस बीमारी के प्रकोप अफ्रीका, एशिया और अमेरिका में सामने आ चुके हैं.

लक्षण, इलाज और रोकथाम के उपाय
जीका के लक्षण बुखार, स्किन पर चकत्ते और जोड़ में दर्द समेत डेंगू के समान होते हैं. हालांकि जीका वायरस से संक्रमित अधिकतर लोगों में लक्षण नहीं होता, लेकिन उनमें से कुछ को बुखार, मांसपेशी और जोड़ का दर्द, सिर दर्द, बेचैनी, फुन्सी और कन्जंक्टिवाइटिस की समस्या हो सकती है. ये लक्षण आम तौर से 2-7 दिनों तक रहते हैं. वर्तमान में जीका वायरस संक्रमण का इलाज या रोकथाम करने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है.

जीका वायरस के खिलाफ वैक्सीन का निर्माण अभी भी जारी है. वायरस के फैलाव को काबू करने का एक ही तरीका मच्छर के काटने को रोकना है. दूसरे एहतियाती उपायों में उचित कपड़े पहनना शामिल है. अंदर और बाहर मच्छर को काबू करने के लिए मच्छर को पानी के नजदीक अंडे देने से रोकना है. उष्णकटिबंधीय क्षेत्र मच्छर के प्रजनन के लिए उचित तापमान उपलब्ध कराता है. मच्छर के काटने से बचने के लिए मच्छरदानी में सोने का विकल्प अपनाना चाहिए. 

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