ग्वालियर, । शहर के शनि मंदिराें में साल की दूसरी शनिश्चरी अमावस्या पर भी सुबह से ही भक्ताें की भीड़ लगना शुरू हाे गई। हालांकि काेराेना के खतरे काे देखते हुए इस बार मंदिराें में कुछ अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं। जिससे भीड़ कम जमा हाे, साथ ही कुछ मंदिराें में भक्ताें का प्रवेश भी बंद रहा है।

मुरैना जिले में स्थित शनिश्चरा मंदिर पर इस बार काेराेना के खतरे के चलते मेला नहीं लगा है। हालांकि भक्त सुबह से ही दर्शनाें के लिए पहुंचना शुरू हाे गए थे।अषाढी अमावस्या शनिवार को सुबह 6.58 बजे तक रहेगी। अमावस्या सूर्योदय के बाद एक घंटा चार मिनिट रहने से शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बनेगा। अभी धनु, मकर, कुंभ राशि के जातकों पर शनिदेव की साढ़े साती और मिथुन, तुला राशि वालों को शनि देव की ढैय्या चल रही है। ऐसे सभी जातक जिनको साढ़े साती,ढैय्या से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें शनि अमावस्या को सूर्योदय से पूर्व नित्य कर्म करने पश्चात नजदीक के शनि मंदिर में जाकर पूजा अर्चना कर तिल्ली या सरसो तेल से शनि देव का अभिषेक करना लाभदायक होता है। बहाेडापुर स्थित शनिदेव के मंदिर पर इस बार भक्त शनि प्रतिमा के पास नहीं जा सके। क्याेंकि यहां पर शटर लगा दिया गया था। तेल, तिल एवं अन्य पूजा सामग्री भी भक्ताें ने बाहर से ही अर्पित की है।शनि पीढ़ा से राहत के लिए तुला दान करना अर्थात अपने वजन बराबर लोहा, सरसो तेल, काले तिल, उड़द, स्टील बर्तन, तिल्ली, तेल का दान करना चाहिए | इसके अलावा लोहे के पात्र में तेल भरकर अपना चेहरा देखकर और निशक्त को भोजन, वस्त्र का दान करे। मंदिर समिति के अनुसार इस मौके पर शनि प्रसाद पुस्तिका का वितरण भी दिनभर मंदिर में होगा। इस दिन शनि से पीड़ित व्यक्तियों के लिए दान का महत्व बढ़ जाता है। शनि से प्रभावित व्यक्ति कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है। शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना लाभप्रद बताया गया है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में शनि का कुप्रभाव हो उन्हे शनि के पैरों की तरफ देखना चाहिए।