राजस्थान यूनिवर्सिटी:5 साल में कॉलेज आधे से कम हुए, छात्र संख्या 10 लाख से घटकर 6.5 लाख
प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी कहलाने वाली राजस्थान यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों की संख्या अब 400 में सिमटकर रह गई है। 5 साल पहले जहां 7 जिलाें के करीब 1200 कॉलेजों ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से संबद्धता ली थी। वहीं अब जयपुर और दौसा तक सिमटी यूनिवर्सिटी से सामान्य शिक्षा के 400 से कम कॉलेज ही संबद्ध रह गए हैं।
बीएड सहित माने तो यह संख्या करीब 600 है। वहीं छात्र संख्या भी 10 लाख से घटकर साढ़े 5 लाख रह गई है। इसके पीछे कारण प्रदेश में नई सरकारी और निजी यूनिवर्सिटीज खुलना और कई कॉलेज बंद होना माना जा रहा है। पिछले 2 साल में जयपुर, दौसा को 15 सरकारी कॉलेज भी मिले हैं।
416 कॉलेज, जिनमें से 22 लॉ यूनिवर्सिटी में जाएंगे
2020-21 सेशन में यूनिवर्सिटी के सामान्य शिक्षा के 416 संबद्ध कॉलेज हैं। इनमें से 22 लॉ कॉलेज डॉ. भीमराव अंबेडकर लॉ यूनिवर्सिटी से संबद्ध होंगे। 2018-19 में आरयू के पास 534 कॉलेज थे। प्रदेश की बात करें तो करीब 338 सरकारी और 1860 निजी कॉलेज हैं।
राजस्थान यूनिवर्सिटी के अलावा प्रदेश में बीकानेर यूनिवर्सिटी से सामान्य शिक्षा के 319, सीकर यूनिवर्सिटी से 297, जोधपुर यूनिवर्सिटी से 267 और अजमेर यूनिवर्सिटी से 264 कॉलेज संबद्ध हैं।
एरिया बांटने से राजस्थान यूनिवर्सिटी का रेवेन्यू घटा
प्रदेश में यूनिवर्सिटीज का एरिया बांटने से आरयू का रेवेन्यू भी घट गया है क्योंकि कॉलेजों के एफिलिएशन और छात्रों के एडमिशन से फीस मिलती थी वह कम हाे गई है। शिक्षकों और कर्मचारियों की संख्या वही है। यूनिवर्सिटी काे विभिन्न जिलाें के कॉलेजों से नए काेर्स और काॅलेज संबद्धता के लिए रेवेन्यू मिलता था।
आरयू के परीक्षा केंद्र भी 2 जिलों तक सीमित
राजस्थान यूनिवर्सिटी ने पिछले सेशन से फैसला किया कि जयपुर, दाैसा में ही परीक्षाएं आयोजित कराएंगे। क्योंकि दूसरे जिलाें के काॅलेज अन्य यूनिवर्सिटी से संबद्ध हैं, ऐसे में परीक्षा के लिए काेई सेंटर देने के लिए तैयार नहीं हाेता। इसलिए इन जिलाें से बाहर के छात्रों काे भी यहीं परीक्षा देनी हाेगी।
सीकर, अलवर, भरतपुर यूनिवर्सिटी शुरू होने के बाद आरयू से संबद्ध कॉलेज ट्रांसफर हो गए। सीमाएं निर्धारित होने से कॉलेज और छात्र संख्या कम हो गई। लॉ कॉलेज भी नई यूनिवर्सिटी में जा रहे हैं। रही बात बंद होने वाले या मर्ज होने वाले कॉलेजों की तो वे एडमिशन ही बंद करके एफिलिएशन नही लेते। इसलिए कॉलेज और छात्र संख्या कम हुई है। जिससे यूनिवर्सिटी का रेवेन्यू घट गया है।
-प्रो. एसएल शर्मा, डायरेक्टर एग्जाम
भले ही एफिलिएशन से यूनिवर्सिटीज को रेवेन्यू मिलता है, लेकिन क्वालिटी से समझौता नहीं हो। कई यूनिवर्सिटीज सिर्फ एफिलिएशन, परीक्षा का काम कर रही है। फैकल्टी की संख्या नाममात्र है। आरयू का भी क्वालिटी एजुकेशन, रिसर्च में नाम था।
– प्रो. केएल शर्मा, पूर्व कुलपति आरयू
आरयू में रिसर्च का भी बुरा हाल
50 करोड़ की ग्रांट, फिर भी दो साल से एमफिल व पीएचडी में एडमिशन नहीं
राजस्थान यूनिवर्सिटी को शोध के नाम पर ही रूसा प्लान में 50 करोड़ की ग्रांट सेंक्शन हुई है। इसके बावजूद यूनिवर्सिटी शोध के मामले में लापरवाही बरत रही है। 2 साल से यूनिवर्सिटी में एमफिल, पीएचडी में एडमिशन नहीं हुए हैं। 6 महीने में यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. राजीव जैन ने पीएचडी में एडमिशन के लिए 3 कन्वीनर बना डाले। इसके बावजूद काम जीरो है।
6 महीने में ऑनलाइन आवेदन तक शुरू नहीं हुए हैं। अब कोरोना का हवाला देकर प्रक्रिया पर ब्रेक लगा दिए गए हैं। यूनिवर्सिटी में एंट्रेंस टेस्ट ‘एमपेट’ कराने के लिए कन्वीनर नियुक्त किया गया, लेकिन टेस्ट की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई और 2 कन्वीनर बदल दिए। अब तीसरे कन्वीनर को भी 2 माह से ज्यादा समय बीत चुका है।
टेस्ट तो दूर खाली सीटों का भी पता नही है। यूनिवर्सिटी के करीब 37 विभागों को पत्र लिखकर एमफिल और पीएचडी के लिए खाली सीटों की जानकारी मांगी थी। 1 उधर, जोधपुर यूनिवर्सिटी ने पीएचडी की करीब 340 सीटों के लिए छात्रों से एमपेट के लिए फॉर्म भी भरवा लिए हैं।
दो साल से ड्यू है एमपेट
पीएचडी, एमफिल में एडमिशन के लिए हाेने वाला एमपेट एंट्रेंस टेस्ट 2019 और 2020 का नहीं हुआ है। 2 साल के एडमिशन एक साथ करने की कवायद चल रही है। लंबे समय से शिक्षकों के प्रमोशन नही हुए हैं। प्रोफेसर 8, एसोसिएट प्रोफेसर 6 और असिस्टेंट प्रोफेसर 4 छात्रों काे पीएचडी करवा सकते हैं। लेकिन प्रमोशन नही हाेने से सीटें कम रहेगी।
दो साल से राजस्थान यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने का इंतजार कर रहे हैं। सेशन जीरो हो गया है। छात्र आए दिन कुलपति को ज्ञापन देते हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ भी काम नहीं हो रहा। प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में फीस ज्यादा है। शोध के लिए छात्र कहां जाए।
– हेमंत कुमार जकड़ी, छात्र