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रोडवेज कर्मियों में खुशी:रोडवेजकर्मियाें को भत्ते की अंतर राशि मिलेगी

करौली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद रोडवेज के सेवारत व रिटायर्ड चालक-परिचालकों को 23 वर्षों के बाद डे और नाइट भत्ते के अंतर की राशि का भुगतान किया जाएगा। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राजेश्वर सिंह ने इस संबंध में सभी इकाई प्रभारियों को भुगतान करने की कार्यवाही संपादित करने के आदेश जारी किए हैं। राजस्थान स्टेट रोडवेज एम्पलाइज यूनियन एटक एवं आरएसआरटीसी रिटायर्ड एम्पलाइज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने उनके पक्ष में फैसला होने पर खुशी व्यक्त की है।

हिंडौन आगार से जुड़े 500 कार्मिकों को लाभएटक के सचिव सत्यवीर डागुर व आरएसआरटीसी के सचिव पूरनचंद शर्मा ने बताया कि डे और नाइट भत्ते के अंतर की राशि को लेकर हुई जीत का लाभ प्रदेश के 15 से 20 हजार तथा हिंडौन के 500 कार्मिक लाभांवित होंगे। इनमें करीब 200 कार्मिक वर्तमान में सेवारत है तथा 300 के करीब रिटायर्ड कर्मचारी शामिल हैं। प्रदेश में सभी कर्मचारियों को भुगतान करने पर रोडवेज को 15 से 20 करोड़ का भार आएगा।यह है मामला: एटक की ओर से वर्ष 1985 में कर्मचारियों की विभिन्न 23 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल की थी। जिसे राज्य सरकार ने अवैध घोषित कर दिया था।

करीब 1200 कर्मचारियों को दूरस्थ आगारों में भेजने के आदेश जारी कर दिए और कई को नौकरी से हटा दिया। हालांकि यूनियन की ओर से हाईकोर्ट जयपुर में दायर की गई याचिका के आदेश से दमनात्मक कार्रवाई रदद हो गई। इस हड़ताली मांग पत्र की चार मांगों को राज्य सरकार ने औद्योगिक न्यायालय को निर्णय करने के लिए भेजा। जिसमें चालक-परिचालकों को 6 घंटे से अधिक डे और नाइट में डयूटी पर ठहराव के बदले में यात्रा भत्ता नियम में एक दिन के भत्ते के बराबर की राशि का भुगतान करने का फैसला 9 सितंबर 1997 को किया गया।

इस फैसले में यूनियन की ओर से कामरेड एमएल यादव की ओर से पैरवी की गई थी। निगम द्वारा इस फैसले को लागू करने के बजाय उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय तक अपील की गई, जो हर स्तर पर खारिज कर दी गई। सर्वोच्च न्यायालय ने 12 अप्रेल 2021 को कर्मचारियों के पक्ष में आदेश जारी कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद निगम के अध्यक्ष ने सभी मुख्य प्रबंधकों को निर्देश दिए हैं कि चालक-परिचालकों को यह भुगतान किया जाए।

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