बारिश का ब्रेक:जिले में 19 साल बाद 18 जुलाई तक सबसे कम बारिश, अब तक केवल 6.44 इंच पानी ही गिरा

मंदसौर जिले में 19 साल बाद फिर सूखे की स्थिति बन रही है। 2002 में 18 जुलाई तक मात्र 5.23 इंच बारिश हुई थी। इस दौरान पूरे साल में 20 इंच ही पानी गिरा था। इस बार भी बारिश की खेंच से हर कोई परेशान है। जिले के कालाभाटा, काका गाडगिल सागर एवं रेतम बैराज जैसे बड़े-बड़े बांध सूख चुके हैं। अधिकारियों के अनुसार बांध निर्माण के बाद पहली बार यह स्थिति बनी है। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार 20 जुलाई के बाद अच्छी बारिश की संभावना है लेकिन सालाना औसत के लक्ष्य तक पहुंचना इस बार मुश्किल लग रहा है।
जिले में इस साल ताऊ ते तूफान के चलते मई अंत में अच्छी बारिश शुरू हो गई थी। इसके बाद से लंबा ब्रेक लगा है। जून में 2-4 दिन हल्की बारिश हुई। जुलाई में भी अभी तक रिमझिम बारिश ही मिली है। रविवार को भी शहर सहित जिले में सुबह से काले बादल छाए रहे। इससे अधिकतम तापमान में 3 डिग्री की गिरावट दर्ज हुई लेकिन बारिश का इंतजार जारी रहा। सुबह हल्की बूंदें गिरती रहीं जिससे सड़कें भी पूरी तरह गीली नहीं हुईं। जिले में अब तक मात्र 6.44 इंच ही बारिश हुई है। यह 19 साल में सबसे कम है।
इससे पहले 18 जुलाई तक 2002 में मात्र 5.23 इंच बारिश दर्ज हुई थी। उस वर्ष बारिश के मौसम में 20.01 इंच बारिश दर्ज हुई थी जो औसत से करीब 13 इंच कम रही। इसके बाद गतवर्ष 2020 बारिश के मौसम में सबसे कम 23.87 इंच ही बारिश दर्ज हुई थी। जो औसत से करीब 10 इंच कम रही। गतवर्ष 18 जुलाई तक जिले में 7.16 इंच बारिश हुई थी।
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अरब सागर की तरफ से तेजी से नमी वाली हवाएं आ रहीं
मौसम वैज्ञानिक डॉ. डी.पी. दुबे ने बताया कि अभी राजस्थान के ऊपर सिस्टम बन रहा है। इससे अरब सागर की तरफ से तेजी से नमी वाली हवाएं गुजरात होते हुए पहुंच रही हैं। इससे 20 जुलाई से मंदसौर व आसपास के क्षेत्र अच्छी बारिश की उम्मीद है। इसके बाद 21 जुलाई तक बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया तैयार हो रहा है। जो 23 जुलाई तक मप्र में पहुंचेगा। इससे 23 के बाद 2-3 दिन अच्छी बारिश की उम्मीद है। हालांकि इस साल भी औसत से कम बारिश की ही स्थिति बन रही है।
बांध बनने के बाद पहली बार सूखे की स्थिति
कालाभाटा बांध डेढ़ माह पहले ही खाली : इस साल जिले के प्रमुख कालाभाटा, गाडगिल सागर व रेतम बैराज सभी सूख गए हैं। नगरपालिका ने शहर की पेयजल व्यवस्था के लिए करीब 2012 में शिवना पर कालाभाटा बांध का निर्माण कराया। इसमें करीब 21 फीट जलभराव की क्षमता है। जो करीब डेढ़ माह पहले ही सूख गया। बांध निर्माण के बाद पहली बार यह स्थिति है कि डेड स्टोरेज का पानी भी सूख गया है।
गाडगिल सागर सूखा : मल्हारगढ़ के पास भैंसाखेड़ा में 2005 में काका गाडगिल सागर बांध बना। इसमें 9 गेट हैं। इसकी जलभराव क्षमता 13.50 फीट है। वर्तमान में बांध पूरी तरह से सूख चुका है। बांध के पीछे गड्ढों में कुछ पानी है। जल संसाधन के सब इंजीनियर डी.के. मुजावदिया के अनुसार जुलाई में यह पहला मौका है जब बांध में बिल्कुल पानी नहीं है।
रेतम बैराज खाली : नारायणगढ़ के पास रेतम नदी पर काका गाडगिल सागर के बाद 2010 में नवीन रेतम बैराज बनाया। इसमें करीब 24 गेट हैं। 4 मीटर जलभराव होता है। वर्तमान में रेतम का वाटर लेवल भी शून्य है। बांध निर्माण के बाद यहां भी पहला मौका है जब जुलाई माह में बिल्कुल पानी नहीं है।
गांधीसागर का भी गिरा वाटर लेवल
बारिश की खेंच के चलते गांधीसागर के वाटर लेवल में भी गिरावट दर्ज हुई है। गत वर्ष 18 जुलाई को गांधीसागर बांध में 1296.91 फीट पानी था। जो इस साल वर्तमान में 1289.88 फीट ही है। गांधीसागर बांध भी 7.03 फीट खाली है।
बारिश के लिए जतन मनाई उजमनी
बारिश नहीं होने पर रविवार को शहर के कहार भोई समाजजन ने शहर से 8 किमी दूर खिड़की माता मंदिर पहुंच उजमनी मनाई। समाजजन ने मंदिर के पास दाल-बाटी बनाई। माता की पूजा-अर्चना कर भोग लगाया एवं अच्छी बारिश की कामना की।