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डेढ साल पहले के मुकाबले रोडवेज को रोज 35 लाख घाटा, तब थी 70 लाख पर डे की इनकम

हल्द्वानी : कर्मचारियों की सैलरी से लेकर अन्य खर्चों के बोझ तले दबा उत्तराखंड परिवहन निगम कोरोना की मार से उभर नहीं पा रहा। आंकड़ों की बात करें तो कोरोना से पहले और वर्तमान में रोडवेज की आय आधी रह गई है। जबकि उसके खर्चों में कोई कटौती नहीं। मार्च 2020 से पहले कुमाऊं के अलग-अलग डिपो की रोजाना आय 65-70 लाख रुपये थी। लेकिन अब यह 35-40 लाख रुपये तक ही पहुंच पा रही है। अब बारिश सीजन होने के कारण इनकम और डाउन होगी।

कोरोना महामारी का असर छोटे कारोबारियों से लेकर सरकारी राजस्व पर भी पड़ा। केवल खनन कारोबार पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। प्रदेश की अधिकांश नदियों में समय रहते चुगान कर लिया गया था। लेकिन वित्तीय संकट से जूझ रहे रोडवेज को कोरोना ने सबसे ज्यादा झटका दिया। यहीं वजह है कि कोविड काल शुरू होने के बाद से सैलरी को लेकर दिक्कत आ रही है। क्योंकि, इनकम का ग्राफ पचास प्रतिशत से कम हो चुका है। सेवानिवृत्त कर्मचारी भी फंड व अन्य भुगतान को लेकर भटक रहे हैं।

यूपी पाबंदी पर सिर्फ दस लाख

उत्तराखंड की बसों की इनकम का सबसे बड़ा सहारा उत्तर प्रदेश में संचालन है। आठ मई से आठ जुलाई तक गाडिय़ों को दूसरे राज्य में नहीं भेजा जा रहा था। तब रोडवेज की कुमाऊं रीजन आय दस लाख से नीचे पहुंच गई थी। संचालन शुरू होते ही इनकम तो ठीक मात्रा में बढ़ी। लेकिन डेढ़ साल पुरानी स्थिति में आने पर अभी वक्त लगेगा

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