इंदौर में राहत वाली बारिश:रुक-रुककर बारिश तो हो रही, लेकिन रात का पारा अभी भी सामान्य से 2 डिग्री ज्यादा, दिन के पारे में आई कमी, जुलाई का कोटा पूरा करने अभी 3 इंच की जरूरत
लंबे समय से बारिश का इंतजार कर रहे इंदौरियों को शुक्रवार अलुसबह खुश होने का मौका मिला। रात करीब 3 बजे से शुरू हुआ बारिश का दौर 4 घंटे तक चलता रहा। इस दौरान रुक-रुककर कभी तेज ताे कभी रिमझिम बारिश होती रही। पिछले 24 घंटे में 9.7 मिमी बारिश रिकार्ड हुई। हालांकि अभी जुलाई के ही टारगेट से बारिश बहुत पीछे है। इस महीने का कोटा पूरा होने के लिए अभी करीब 3 इंच बारिश की जरूरत है। अब तक इंदौर में 176.1 (7 इंच के करीब) बारिश हो चुकी है। रुक-रुक कर बारिश होने के बाद भी उमस कम होने का नाम नहीं ले रही है। अभी भी रात का पारा सामान्य से 2 डिग्री ऊपर है। वहीं, दिन के पारे में जरूर कमी आई है।
इसके पहले गुरुवार को दिनभर बादल छाए रहे, लेकिन बारिश कहीं भी नहीं हुई। दिन में कई बार बादल घने भी हुए। हवा चलने के कारण आसमान कहीं-कहीं से साफ नजर आने लगा। बादल छाने से दिन के तापमान में राहत देखी जा रही है। अधिकतम तापमान 30 डिग्री से नीचे आ गया है। यह 29.7 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य है। वहीं, न्यूनतम तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है। बुधवार को यह 23.6 डिग्री होकर सामान्य से 1 डिग्री ज्यादा रहा। जो गुरुवार रात को बढ़कर 24.2 डिग्री रिकार्ड हुआ।
बुधवार को 3 मिमी बारिश हुई थी
बुधवार को दिनभर में मात्र 3 मिलीमीटर ही बारिश रिकार्ड हुई थी। वैसे तो इंदौर के पूरे साल का कोटा 34 इंच बारिश का है। जुलाई की औसत बारिश 10 इंच मानी जाती है। ऐसे में लगातार सक्रिय मानसून से उम्मीद है कि जुलाई का कोटा पूरा हो सकता है।
एक-दो तालाब को छोड़कर किसी में नहीं बढ़ा पानी
बारिश भले ही देर से आई है, लेकिन दो दिनों की ही हलकी बारिश से तालाबों के लेवल पर असर नजर आने लगा है। इंदौर के मुख्य तालाबों में एक सिरपुर में करीब एक फीट पानी बढ़ गया है। हालांकि दूसरे तीन तालाबों के लेव में मामूली गिरावट जरूर देखने को मिली है। 17 जुलाई को जहां छोटे सिरपुर तालाब में 8.8 फीट पानी था जो बुधवार तक 9.3 फीट तक पहुंच गया। दूसरे तालाबों पर हालांकि इसका ज्यादा फायदा नजर नहीं आया है। यशवंत सागर, बड़ा बिलावली और पिपल्यापाला में लेवल थोड़ा नीचे गया है। यह सुखदायक खबर है कि बारिश के लंबे इंतजार के बावजूद तालाबों के जलस्तर में ज्यादा गिरावट नहीं आई। दो साल पहले तालाबों की चैनलों पर हुए बाधक निर्माण तुड़वाने के कारण भी यह असर देखने को मिला है।