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सिंध नदी में बहे युवकों का अभी भी नहीं चला पता, परिजन भी मौके पर मौजूद

ग्वालियर- भितरवार । भितरवार तहसील के ग्राम सांखनी के पास स्थित धूमेश्वर धाम पर सिंध व पार्वती नदी मिलती हैं। इसलिए यहां बारिश के मौसम में बहाव अधिक हो जाता है। एमिटी यूनिवर्सिटी से अध्ययनरत किशन होतवानी अपने दोस्तों के साथ श्रावण मास के पहले दिन ही धूमेश्वर पर पिकनिक मनाने गया था। कितांशु को ज्यादा तैरना नहीं आता था, वह गहरे पानी में चला गया और गोते लगाने लगा। किशन अपनी जान की परवाह किए बिना दोस्त कितांशु को बचाने के लिए कूद गया। किशन तैरने में पारंगत तो नहीं था, लेकिन हाथ-पैर चला लेता था। उसने दोस्त को बचाने के प्रयास किए, उसका हाथ भी पकड़ लिया, लेकिन पानी का बहाव तेज होने के कारण दोनों अन्य दोस्तों के सामने बहते चले गए। रात करीब नौ बजे तक दोनों दोस्तों को आपदा प्रबंधन की टीम ने तलाशने के लिए प्रयास किया, लेकिन रात अधिक होने के कारण रेस्क्यू आपरेशन को रोकना पड़ा। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि दोनों नदियों का संगम होने के कारण भंवर भी बनते हैं। लापता दोनों युवकों के घरवाले धूमेश्वर पहुंच गए हैं। किशन के दादा बेसुध हो गए हैं। घरवाले प्रचीन धूमेश्वर मंदिर में हाथ जोड़कर दोनों युवकों की जिंदगी की मन्नत मांग रहे हैं। मौके पर मौजूद अन्य युवकों ने पुलिस को बताया कि दोपहर के समय सभी दस युवक नहाने के लिए पानी में उतरे थे। हंसी ठिठोली के साथ जलक्रीड़ा का आनंद ले रहे थे। अचानक कितांशु गहरे पानी में चला गया। उसे तैरना नहीं आता था। वह पानी के बहाव के साथ बहने लगा। दोस्त को बचाने के लिए किशन गहरे पानी में कूद गया और दोनों दोस्त उनकी आंखों के सामने पानी के बहाव के साथ बहते चले गए। दोनों दोस्तों के बहने की सूचना आसपास के लोगों को देकर मदद मांगी, लेकिन उसके बाद दोनों पानी में नजर नहीं आए।

कितांशु भारतीय विद्यापीठ कालेज पुणे से एमटेक कर रहा है और किशन होतवानी एमिटी यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत है। दोनों किडीज कार्नर स्कूल में साथ पढ़े हैं और अच्छे दोस्त हैं। दोनों युवकों को उनके परिवार से काफी उम्मीदें हैं। अब भी घरवालों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। मौके पर मौजूद परिवार के लोग एक दूसरे को दिलासा दे रहे हैं। कितांशु के पिता कैलाश शाक्य ने बताया कि घर से बगैर बताए दोस्तों के साथ सुबह करीब 10:30 बजे निकले थे। दोनों युवक ग्रेजुएशन पूरी कर चुके थे। कितांशु व किशन घर में बड़़े हैं और इन दोनों के दो छोटे भाई हैं। कितांशु केपिता रेलवे में हैं और मां शिक्षक है। पिता को बेटे के लापता होने की सूचना देरी से दी गई, क्योंकि वह दिल केमरीज हैं।बारिश से पहले प्रशासन द्वारा आपदा प्रबंधन की बैठक लेते हुए यह निर्धारित किया था कि नदी क्षेत्र के इलाकों में लगने वाले गांव और धार्मिक ऐतिहासिक स्थलों के नजदीक से निकली नदी- तालाब व नहर आदि के आसपास लोगों को जाने नहीं दिया जाएगा साथ ही बाढ़ आपदा नियंत्रण से निपटने के लिए स्थानीय गोताखोरों की टीम नियमित रूप से मौजूद रहेंगी, लेकिन जिस समय रविवार को यह घटना हुई उस समय न तो वहां पुलिसकर्मी मौजूद मिले न ही स्थानीय गोताखोर, जबकि धूमेश्वर महादेव मंदिर पर प्रत्येक दिन हजारों भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने और मानसूनी मौसम में पिकनिक मनाने काफी संख्या में आते हैं। उसके बावजूद भी प्रशासन द्वारा नदी घाटों पर किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई।

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