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राजनीति जारी:मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना; तीनाें सत्ताधारी विधायक जयपुर बुलाए गए

ज्य में मंत्रिमंडल विस्तार का रास्ता साफ होने और राजनीतिक संकट दूर करने के लिए कांग्रेस में सुलह का रास्ता तैयार होने से राजनीतिक सुगबुगाहट बढ़ी है। जिले के तीनों सत्ताधारी विधायक जयपुर पहुंच गए हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रभारी अजय माकन 28 व 29 जुलाई को विधायकों से फीडबैक लेंगे।

जिले के विधायकों की ओर से भी मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। जिले को राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ढाई साल से मंत्री पद का इंतजार है। एक साल से ज्यादा समय से जिलाध्यक्ष का पद भी खाली पड़ा है। संभावना है कि मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द हो जाएगा। इसके बाद जिलाध्यक्ष व ब्लॉक अध्यक्षों के नामों की घोषणा की संभावना है। कांग्रेस ने विधायकों को जयपुर में ही रहने को कहा है। तीनों विधायक अगले दिनों में भी जयपुर ही होंगे।

गौरतलब है कि जुलाई 2020 में गहलोत व पायलट के बीच खींचतान के बाद सचिन पायलट को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष व उप मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था। इसके विरोध में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार सहारण व अन्य पदाधिकारियों ने त्याग पत्र दे दिया था। इसके बाद से जिलाध्यक्ष पद खाली ही पड़ा है। वहीं ब्लाकों में भी ब्लाक अध्यक्षों के पद रिक्त पड़े हैं।

पहली बार जीते विधायकों को पद नहीं देने का फार्मूला बनाया तो कुन्नर मंत्री बन सकते हैं

तीनों सत्ताधारी विधायकों में से श्रीकरणपुर के विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर पहले राज्य मंत्री रह चुके हैं। सिख समाज को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देने के लिए गुरमीत सिंह कुन्नर को मंत्री बनाए जाने की मांग पहले ही हो चुकी है। सादुलशहर के विधायक जगदीशचंद्र जांगिड़ और श्रीगंगानगर के निर्दलीय विधायक राजकुमार गौड़ पहली बार जीते हैं। विधायक गौड़ ने निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलाेत का समर्थन किया। पिछले साल गहलोत व सचिन पायलट के बीच राजनीतिक खींचतान होने के दौरान जांगिड़, गहलोत व कुन्नर ने गहलोत खेमे का समर्थन किया था। इसी वजह से तीनों की अाेर से मंत्री बनने के लिए दावेदारी बताई जा रही है।

फरवरी से अटकी है जिलाध्यक्षों की घोषणा

कांग्रेेस में जिलाध्यक्षों की घोषणा फरवरी से अटकी पड़ी है। जनवरी में प्रदेश सचिव व जिला प्रभारी जिया उर रहमान आरिफ ने श्रीगंगानगर आकर स्थानीय नेताओं से फीडबैक लिया था। तब जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा फरवरी में होने की संभावना थी। फरवरी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पदमपुर में किसान सभा की वजह से जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा नहीं की गई। मार्च में जिला प्रभारी आरिफ ने जिलाध्यक्ष पद के नामों का पैनल पीसीसी प्रभारी गोविंदसिंह डोटासरा को सौंपा था। कांग्रेस के स्थानीय पूर्व पदाधिकारियों के अनुसार जून में जिलाध्यक्ष व ब्लॉक अध्यक्षों के नाम घोषित होने की संभावना थी। अब मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद जिला स्तरीय संगठन बनने की अटकलें हैं।

पदों पर नियुक्तियों के लिए कई कतार में

यूआईटी के अध्यक्ष, बीसूका के जिला उपाध्यक्ष सहित कई राजनीतिक पद खाली पड़े हैं। राजस्थान पंजाबी भाषा एकेडमी के राज्यमंत्री दर्जे के अध्यक्ष का पद पर भी श्रीगंगानगर जिले के किसी नेता की ताजपोशी होने की संभावना है। कई नेता जिला व राज्य स्तरीय पदों के लिए लाइन में हैं। मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ ही राजनीतिक नियुक्तियां होने की सुगबुगाहट है। राजनीतिक नियुक्तियों से कांग्रेस पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को नवाजने की मांग दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही हो रही है। पहले लोकसभा चुनाव, फिर शहरी निकायों और पंचायत चुनाव की वजह से राजनीतिक नियुक्तियां अटक गईं। हालांकि इस पर सचिन पायलट के कार्यकाल में पीसीसी स्तर पर दो बार विचार-विमर्श हो चुका है।

पायलट गुट के नेताओं को मिल सकती है तरजीह

मंत्रिमंडल गठन के बाद गहलोत-पायलट गुट में सब कुछ ठीक हो जाएगा तो यहां पायलट गुट के नेताओं को भी तरजीह मिलेगी। अभी ये नेता कांग्रेस पार्टी में अलग-थलग हैं। इनमें प्रमुख पूर्व जिलाध्यक्ष संतोष सहारण, विधानसभा चुनाव लड़ चुके अशोक चांडक, श्याम शेखावाटी सहित कई नेता हैं। राजनीतिक जानकार बताते हैं, जयपुर में राजनीतिक समीकरण ठीक रहे तो गौड़ व चांडक में भी कड़वाहट कम हो सकती है।​​​​​​​

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