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पर्यावरण:100 हेक्टेयर में 40 हजार पौधे ले चुके हैं पेड़ का स्वरूप

धार नालछा सब रेंज कंपार्टमेंट क्रमांक 338 भील कुंडा के बंजारी बीट की 104 हेक्टेयर बंजर पहाड़ी अब आनंद वन का रूप ले चुकी है। 1 वर्ष में वन विभाग ने इस पहाड़ी को हरियाली में तब्दील कर दिया है। इस पहाड़ी पर घास भी नहीं उगती थी, लेकिन यहां 40 हजार पाैधे पेड़ का स्वरूप ले चुके हैं। यह वन विभाग के प्रयास और तकनीक का नतीजा है। पहाड़ी अब पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी। नालछा ब्लॉक के भीलकुंडा बीट बंजारी क्षेत्र में रोपण एवं भूजल संरक्षण के तहत कार्य 1 वर्ष पूर्व शुरू किया था। वर्ष 2020-21 में नालछा वन परिक्षेत्र के क्रमांक 338 में 100 हेक्टेयर बंजर पहाड़ी क्षेत्र में 40,000 पौधे लगाए गए। क्षेत्र की पहाड़ियां यूं तो दशकों से लोगों को लुभाती रही हैं, लेकिन बीते कुछ सालों में हुई अंधाधुंध पेड़ों की कटाई से पहाड़ी बंजर-सी लगने लगी थी। अब इस पहाड़ी को फिर से हरी-भरी करने के लिए वन विभाग ने कमर कस ली है।

108 त्रिवेणियाें के साथ कई किस्म के पाैधे लगाए – जिस बंजर और पथरीली पहाड़ी पर लोग पौधे लगाने की कल्पना नहीं कर सकते थे, वहां वन विभाग ने अपनी टीम के सहयोग से हरियाली की इबारत लिख दी है। धीरे-धीरे पहाड़ों के बीच चल रहे छोटे-छोटे प्रयासों ने बड़ा रूप ले लिया। आज उस पहाड़ी पर सैकड़ों प्रजाति के पक्षियों का वास हो चुका है।

पर्यावरण शोधन की दृष्टि से यहां 108 त्रिवेणियों सहित विभिन्न किस्म के पौधे जैसे- सागवान, नीम, आम, जामुन, आंवला, अंजन, करंज, शीशम, सप्तपर्णी, शिवलिंगी, कटहल, सागौन, सुरजना, केजरीना, अमृतलास, गुलमोहर, अर्जुन, खिरनी, गिलोय, बिल्वपत्र, बांस, कदंब, पलाश आदि प्रजाति के पौधे लगाए गए, जो अब पेड़ बनने की ओर अग्रसर हैं। पहाड़ी पर सात एकड़ क्षेत्र में ये विभिन्न किस्में लगाई गई हैं।

चाराें ओर लगाई फेंसिंग
पहाड़ी पर वन विभाग ने पिछले साल 40 हजार से ज्यादा पौधे लगाए थे। इसमें करीब 25 हजार सागौन लगाया गया था। जबकि चार, आंवला, बांस, करंज, इत्यादि पौधे भी 500-500 की संख्या में लगाए गए हैं। पौधों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने पहाड़ी के चारों ओर फेंसिंग भी कराई है। 100 हेक्टेयर में फैली पहाड़ी की देखरेख के लिए चौकीदार तैनात है। इसलिए पौधों की देखभाल में मुश्किलें नहीं आई हैं।
मिश्रित वनों पर फोकस, बढ़ेगी आय – वन विभाग ने मिश्रित पौधारोपण पर ध्यान दे रहा है। सागौन, बांस, खमेर के अलावा आंवला, महुआ, चार, हर्रा, बहेड़ा, करंच इत्यादि पौधे वन विभाग लगवा रहा है ताकि इनके बड़े होने पर वन क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को वनोपज मिल सके। ऐसे पौधों की देखरेख में ग्रामीणों की रुचि रहती है क्योंकि भविष्य में पेड़ों से निकलने वाले फल ग्रामीणों के लिए आय का जरिया बनेंगे।

पौधारोल मॉडल पहाड़ी के रूप में हम इस पहाड़ी को मूर्त रूप दे रहे हैं। 1 वर्ष के सार्थक प्रयास से इस पहाड़ी का स्वरूप बदलने लगा है। पूरे क्षेत्र में फेंसिंग करा दी है। पौधे पेड़ का स्वरूप लेने लगे हैं। जल्द ही यहां और भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में जहां पहाड़ी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगी उसके लिए भी प्रयास कर रहे हैं।-अक्षय राठाैर, डीएफओ, धार

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