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सावन की रिमझिम से तालाबों ने मारे हिलोरे:4 दिन से हो रही रिमझिम बारिश से तालाबों के जलस्तर में सुधार, यशवंत सागर में पिछले साल के मुकाबले 2 फीट पानी कम

बंगाल की खाड़ी और अरब सागर ने आई नमी के कारण चार दिनों से हो रही रिमझिम ने न सिर्फ जुलाई का कोटा पूरा किया है। इस बारिश से तालाब भी हिलोरे मारने लगे हैं। तालाबों के जल स्तर में ज्यादा तो नहीं, लेकिन कुछ सुधार जरूर हुआ है। पिछले साल की तुलना में यशवंत सागर और बड़ा बिलावली अब सिर्फ 2 से 3 फीट ही खाली हैं। शहर को पीने का पानी देने वाले यशवंत सागर तालाब में पिछले साल 27 जुलाई को 15 फीट पानी था। यह 13 फीट तक भर गया है। सबसे गहरे तालाब बिलावली में भी सिर्फ तीन फीट का अंतर है। बड़ा सिरपुर, छोटा सिरपुर और पीपल्यापाला तालाब का लेवल भी सुधर रहा है।

तालाब क्षमता (27 जुलाई तक फीट में) साल 2020 साल 2021
यशवंत सागर 19 15 13
बड़ा बिलावली 34 22.9 19.3
छोटा बिलावली 12 5 0
बड़ा सिरपुर 16 8.5 7
छोटा सिरपुर 13 12.6 10
पीपल्यापाला 22 14.3 11
लिंबोदी 16 0 0

पिछले साल अब तक 11 इंच हुई थी बारिश
मानसून के दो महीने खत्म होने में कुछ दिन और बचे हैं। इस सीजन में पहली बार ऐसा हुआ कि बंगाल की खाड़ी में बना सिस्टम बगैर रुकावट या भटकाव के सीधे मध्यप्रदेश में सक्रिय हुआ है। इसके पहले तक ऐसा हो रहा था कि सिस्टम बनने के बाद यहां आने के बजाए उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ तक चला जाता था।

इंदौर सहित प्रदेश के हिस्से में मामूली बारिश आ रही थी। यही वजह से पिछले तीन दिन से प्रदेशभर में मानसून मेहरबान है। एयरपोर्ट स्थित मौसम केंद्र के हिसाब से अब तक शहर में 9 इंच बारिश हो चुकी है। जबकि इसी समय तक पिछले साल 11 इंंच पानी बरस चुका था। वहीं शहर के पूर्वी हिस्से की बात करें डीआईजी आफिस में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वर्षामापी यंत्र ने 15 इंच बारिश रिकार्ड की है। कृषि कालेज में भी 15 इंच के करीब ही पानी गिरना दर्ज किया गया है।

पूर्व में ज्यादा और पश्चिम में कम बारिश क्यों
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी से आने वाला सिस्टम भोपाल के रास्ते इंदौर जिले में दस्तक देता है। यह व्यापक रूप से शहर में नहीं फैल पाता। पूर्वी हिस्से में बादलों का माइक्रो जोनेशन हो जाता है, इसलिए पूर्वी हिस्से में बारिश अच्छी होती है। अरब सागर से आने वाला सिस्टम राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तरफ से प्रवेश करता है। अरब सागर में बनने वाले सिस्टम प्रदेश बड़वानी, बुरहानपुर,मंदसौर, रतलाम, उज्जैन तक तो व्यापक रूप से बरसते हैं, लेकिन इंदौर आते-आते यह कमजोर हो जाता है। शहर में इसका असर पश्चिमी इंदौर तक सीमित रह जाता है।

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