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अफगानिस्तान में तालिबान, चीन और पाक ने बनाई तिकड़ी, जानें- भारत पर क्या असर

नई दिल्ली । पाकिस्तान ने तालिबान और चीन के बीच हुए मुलाकात का स्वागत किया है। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने कहा है कि हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के पड़ोसी देश होने के नाते चीन की अफगान शांति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है।

बता दें कि तालिबान नेता मुल्ला बरादर के नेतृत्व में तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने 28 जुलाई को चीन के विदेश मंत्री वांग यी सहित अन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। यह बातचीत अफगानिस्तान में शांति और सुलह और पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट सहित अन्य आतंकी समूहों के साथ तालिबान के संबंधों पर केंद्रित थी।

भारत शांति प्रक्रिया को बिगाड़ने वालों में: जाहिद हफीज चौधरी

अफगान संघर्ष को लेकर पाकिस्तान और चीन के दृष्टिकोण में समानता पर जाहिद ने कहा है कि दोनों देश अफगान के नेतृत्व वाली और अफगान-स्वामित्व वाली शांति और सुलह प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने और समर्थन करने को प्रतिबद्ध हैं। जाहिद ने भारत की आलोचना करते हुए कहा है कि भारत शांति प्रक्रिया को बिगाड़ने वालों में से था। उन्होंने भारत को शांति प्रक्रिया में बाधा देने वाला बताया।

पाकिस्तान ने कहा है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान का एक करीबी पड़ोसी देश है, और एकमात्र ऐसा देश है जिसने लगातार इस बात पर ज़ोर दिया है कि अफगान संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है।

अफगानिस्तान को लेकर भारत की मुश्किलें

भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने अफगानिस्तान को लेकर हाल ही में कहा है कि, ‘पिछले दो दशकों में अफगान नागरिक समाज, विशेष रूप से महिलाओं, अल्पसंख्यकों और सामाजिक स्वतंत्रता के अधिकारों को मिले लाभ स्पष्ट हैं। अफगानिस्तान को कभी भी आतंक का घर नहीं होना चाहिए और न ही शरणार्थियों का स्रोत बनना चाहिए।’ जयशंकर ने आगे कहा था कि शांति वार्ता को सभी पक्षों द्वारा गंभीरता से लिया जाना चाहिए। दुनिया अफगानिस्तान को एक स्वतंत्र, संप्रभु, शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तौर पर देखना चाहती है। यह तभी संभव है जब यह दुर्भावनापूर्ण प्रभाव से मुक्त हो।

भारत सरकार, अफगान सरकार को अफगान जनता की प्रतिनिधि मानती रही है। ऐसे में अगर तालिबान का नियंत्रण होता है तो भारत की दिक्कतें अफगानिस्तान में बढ़ने वाली हैं क्योंकि भारत अफगानिस्तान में कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। अब चीन और पाकिस्तान के एक साथ आने से भारत की दिक्कतें बढ़ने वाली हैं।

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