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सावन का महीना भगवान शिव को है प्रिय, जानिए श्रावण में शिव आराधना का महत्व

उत्तरकाशी । सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय माह बताया गया है। दरअसल सावन माह चातुर्मास मास के चार माह में से एक है। इस बार सावन का महीना उदया तिथि से 25 जुलाई से शुरु हुआ है, जो सावन पूर्णिमा यानि रक्षाबंधन के दिन 22 अगस्त 2021 को समाप्त होगा।
चातुर्मास में चूकिं भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं, इसी वजह से भगवान शिव ही पालनकर्ता होते हैं और वहीं भगवान विष्णु के भी कार्यों को भी देखते हैं, यानि सावन के महीने में त्रिदेवों की सारी शक्तियां भगवान शिव के पास ही होती हैं।

पंडित दिनेश जोशी शास्त्री के अनुसार इस बार सावन मास में चार सोमवार हैं। पुराणों के अनुसार सावन में भोले शंकर की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। खासकर सोमवार के दिन महादेव की आराधना से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते हैं।
वहीं इनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इन्हीं के आशीर्वाद से निर्धन को धन और नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।

सावन में सोमवार का है विशेष महत्व

पंडित दिनेश जोशी के अनुसार सावन मास में प्रत्येक सोमवार का विशेष महत्व है। सामान्यत: सावन में चार सोमवार होते हैं, लेकिन कभी कभी पांच सोमवार भी आते हैं। सभी सोमवार की पूजा के लिए मंत्र अलग-अलग हैं। मान्यता है कि नियमपूर्वक पूजा करने से भगवान शंकर की कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहती है। ऐसे में इस बार भी सावन में चार सोमवार ही पड़ रहे हैं।

पहला सोमवार: महामायाधारी भगवान शिव की आराधना

सावन के पहले सोमवार को महामायाधारी भगवान शिव की आराधना की जाती है। पूजा क्रिया के बाद शिव भक्तों को ‘ऊं लक्ष्मी प्रदाय ह्री ऋण मोचने श्री देहि-देहि शिवाय नम: का मंत्र 11 माला जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से लक्ष्मी की प्राप्ति, व्यापार में वृद्धि और ऋण से मुक्ति मिलती है।

दूसरा सोमवार: महाकालेश्वर कीपूजा*
दूसरे सोमवार को महाकालेश्वर शिव की विशेष पूजा करने का विधान है। श्रद्धालु को ‘ऊं महाशिवाय वरदाय हीं ऐं काम्य सिद्धि रुद्राय नम: मंत्र का रुद्राक्ष की माला से कम से कम 11 मामला जाप करना चाहिए। महाकालेश्वर की पूजा से सुखी गृहस्थ जीवन, पारिवारिक कलह से मुक्ति, पितृ दोष व तांत्रिक दोष से मुक्ति मिलती है।

तीसरा सोमवार: अर्द्धनारीश्वर की पूजा
सावन की तृतीय सोमवार को अर्द्धनारीश्वर शिव का पूजन किया जाता है। इन्हें खुश करने के लिए ‘ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नम: मंत्र का 11 माला जाप करना श्रेष्ठ माना गया है।
इनकी विशेष पूजन से अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।

चौथा सोमवार: तंत्रेश्वर शिव की *आराधना

चौथे सोमवार को तंत्रेश्वर शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन कुश के आसन पर बैठकर ‘ऊं रुद्राय शत्रु संहाराय क्लीं कार्य सिद्धये महादेवाय फट् मंत्र का जाप 11 माला शिवभक्तों को करनी चाहिए। तंत्रेश्वर शिव की कृपा से समस्त बाधाओं का नाश, अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

कैसे करें पूजन
गंजा जल, दूध, शहद, घी, शर्करा व पंचामृत से बाबा भोले का अभिषेक कर वस्त्र, यज्ञो पवित्र, श्वेत और रक्त चंदन भस्म, श्वेत मदार, कनेर, बेला, गुलाब पुष्प, बिल्वपत्र, धतुरा, बेल फल, भांग आदि चढ़ायें। उसके बाद घी का दीप उत्तर दिशा में जलाएं। पूजा करने के बाद आरती कर क्षमार्चन करे ।

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