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ओलंपिक: पुरुष हॉकी में भारत को कांस्य, जर्मनी को 5-4 से हराया, 41 साल बाद मेडल

टोक्यो ओलंपिक्स के पुरुष हॉकी मुकाबले में भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया है। कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में भारत ने जर्मनी को 5-4 से हरा दिया। इस तरह 41 साल बाद भारत को ओलंपिक में पदक मिला है। शुरू में भारतीय टीम 0-1 से पीछे हो गई थी, लेकिन इसके बाद दनादन गोल किए। हॉकी टीम की इस उपलब्धि के बाद पूरे देश में जश्न का माहौल है। हर कोई बधाई दे रहा है और इस जीत को सबसे बड़ी जीत बता रहा है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह के फोन पर बात की। पीएम मोदी ने कप्तान से कहा कि उन्होंने कमाल का काम किया है और आज पूरा देश नाच रहा है।

वहीं भारतीय हॉकी टीम में पंजाब के पांच खिलाड़ी है। अब हर खिलाड़ी को 1-1 करोड़ रुपए का नकद पुरस्कार मिलेगा। पंजाब के खेल मंत्री ने इसका ऐलान किया था और आज उन्होंने अपना वादा दोहराया। राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने ट्वीट किया, भारतीय हॉकी के इस एतिहासिक दिन पर मुझे ये ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि टीम के पंजाब प्लेयर्स को 1 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। हमे आपकी वापसी का इंतजार है ताकी आपकी इस जीत को सेलिब्रेक कर सकें।

मैच का पहला गोल जर्मनी ने किया और खबर लिखे जाने तक भारतीय टीम ने 5-3 से बराबरी कर ली है। जर्मनी दूसरे मिनट में ही 1-0 से आगे हो गया। जर्मनी को एक लॉन्ग कॉर्नर मिला और उन्होंने हिट का पूरा फायदा उठाया। डी क्षेत्र के अंदर एक रिवर्स हिट से जर्मनी को पहला गोल मिला। इसके बाद दूसरे क्वार्टर में भारत ने जबरदस्त वापसी की और एक के बाद एक तीन गोल ठोंक दिए। हालांकि इस दौरान जर्मनी ने भी 2 गोल किए। आखिली पलों तक तक मैच रोमांचक रहा। आखिरी मिनट में जर्मनी को पेनाल्टी कॉर्नर मिला था, लेकिन गोल नहीं कर पाए। सिमरनजीत सिंह ने दो फील्ड गोल किए जबकि हरमनप्रीत सिंह और हार्दिक सिंह ने पेनल्टी कार्नर से गोल किए। भारत ने आखिरी बार 1980 ओलंपिक में गोल्ड जीता था।

जर्मनी को मैच के आखिरी मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन इसे गोलची श्रीजैश ने निस्तेज कर दिया और इसी के साथ पूरा भारत झूम उठा. कांस्य पक्का हो गया।

ओलंपिक में भारतीय हॉकी का इतिहास

भारत ओलंपिक में सबसे सफल टीम है जिसने 8 स्वर्ण पदक जीते हैं। लेकिन पुरुष हॉकी टीम ने 1980 में स्वर्ण पदक जीतने के बाद से कोई पदक नहीं जीता है। स्वर्ण पदक जीतने का सपना कुछ दिन पहले ही समाप्त हो गया। हालांकि भारत के पास कांस्य पदक के साथ अभियान खत्म करने का मौका है। भारतीय हॉकी के इतिहास में यह एक बहुत बड़ा क्षण है क्योंकि आज की जीत क्रिकेट के प्रति जुनूनी देश में हॉकी को फिर से जिंदा करने के लिए जरूरी है।

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