Fri. Nov 22nd, 2024

ग्राहम रीड 2019 में भारतीय हॉकी टीम के कोच बने थे. पिछले दो साल में ग्राहम रीड ने हॉकी टीम की तस्वीर को बदलकर रख दिया है.

टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय मेंस हॉकी टीम ने इतिहास रचा है. जर्मनी को हराकर भारत 41 साल बाद हॉकी का मेडल जीतने में कामयाब हुआ है. भारतीय हॉकी टीम की इस जीत में आस्ट्रेलियाई कोच ग्राहम रीड की अहम भूमिका रही है. रीड ने भी ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद कहा है कि वह भारत की इस जीत पर गर्व महसूस कर रहे हैं.  रीड ने बताया है कि कैसे बलिदान देकर भारतीय हॉकी टीम इस मुकाम तक पहुंची.

बार्सिलोना ओलंपिक 1992 में सिल्वर मेडल जीतने वाली आस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा रहे रीड 2019 में भारत के कोच बने थे. रीड का कहना है कि युवा खिलाड़ियों पर विश्वास करने की वजह से भारत को ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर कामयाबी मिली है. रीड ने कहा, ”यह अद्भुत अहसास है. इस टीम ने इसके लिए कई बलिदान दिये हैं.”

रीड ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान खिलाड़ियों के सामने आई मुश्किलों के बारे में बात की. उन्होंने कहा, ”जहां ये खिलाड़ी पहुंचे हैं, वहां तक पहुंचने में काफी समय लगता है. कई बलिदान जिनके बारे में किसी को पता भी नहीं होता.”

श्रीजेश को सराहा

रीड भारत के लिए इस जीत का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं. हॉकी टीम के कोच ने कहा, ”देश के साथ साथ यह टीम भी लंबे समय से पदक का इंतजार कर रही थी. मुझे पता है कि भारत के लिये हॉकी के क्या मायने हैं और इसका हिस्सा बनकर मैं बहुत खुश हूं.”

रीड ने बताया है कि कैसे भारतीय टीम 1-3 से पिछड़ने के बावजूद मैच में वापसी करने में कामयाब हुई. उन्होंने कहा, ”मैच से पहले मैंने उनसे कहा था कि कुछ होता है तो अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से भी बेहतर करना है. मसलन अगर आप पिछड़ते हो तो खेल का एक अलग ही स्तर दिखाना होगा और उन्होंने वही किया.”

कोच रीड ने जर्मनी के वार झेलने वाले गोलकीपर पी आर श्रीजेश की खास तौर पर तारीफ की. रीड ने कहा, ”गोल के सामने श्रीजेश जैसा खिलाड़ी होना अच्छी बात है. शुक्र है कि हमें शूटआउट में नहीं जाना पड़ा. वह भारतीय हॉकी का धुरंधर है. उसने काफी मेहनत की है और तभी यहां तक पहुंचा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *