जर्मनी को हराकर गोल्पोस्ट पर क्यों बैठे श्रीजेश? ऐतिहासिक जीत के नायक ने खुद बताया इसके पीछे की वजह
ओलंपिक में 41 सालों के बाद भारतीय मेंस हॉकी टीम को आखिरकार मेडल अपने नाम किया है. भारत ने आज हुए कांस्य पदक के मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराकर यह इतिहास रचा है. पिछले चार दशकों से ओलंपिक में मेडल न जीत पाने दंश भारतीय हॉकी झेल रही थी. इस दंश की समाप्ति आज हुई है. भारतीय हॉकी टीम के इस ऐतिहासिक जीत के बाद पूरे देश में जश्म का माहौल है. भारत के इस जीत में अहम किरदार निभाने वाले पूर्व कप्तान और विश्व के शानदार गोलकीपरों में शुमार पीआर श्रीजेश का वर्षों से ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना आज जाकर पूरा हुआ.
अपना आखिरी ओलंपिक में उतरे पीआर श्रीजेश के लिए यह ऐतिहासिक जीत के मायने को आप उस तस्वीर से ही समझ सकते हैं, जिमें वह गोल्पोस्ट पर बैठे हुए नजर आ रहे हैं. भारत के इस स्टार गोलकीपर की यह तस्वीर सोशल मीडया पर भी खूब वायरल हो रही है.
इस तस्वीर को लेकर श्रीजेश ने कहा कि मैने पूरी जिंदगी गोलपोस्ट पर ही बिताई है, मेरे लिए गोलपोस्ट ही सबकुछ है. इस तस्वीर के जरिए मैं यह बताना चाहता था कि मैं ही इस गोलपोस्ट का मालिक हूं.
आमतौर पर श्रीजेश जीत का जश्म मनाते कम ही दिखते हैं, पर भारत की इस ऐतिहासिक और अपने करियर की सबसे बड़ी जीत पर उन्होंने खूब जश्न मनाया. बेहद शांत स्वभाव रखने वाले गोलकीपर श्रीजेश दवाब के समय में हमेशा अच्छा प्रदर्शन करते हैं, जो यह बताता है कि वह कितने बड़े खिलाड़ी हैं.
श्रीजेश ने अपने इस जीत को लेकर कहा कि मैं पिछले 21 साल से हॉकी खेल रहा हूं. मैने आज अपना 21 साल अनुभव इस 60 मिनट में झोंक दिया. आखिरी पेनाल्टी पर उन्होंने कहा मैने खुद से इतना ही कहा कि तुम 21 साल से यह खेल खेल रहे हो अभी तुम्हे यही करना है और एक पेनाल्टी बचानी है. श्रीजेश ने ओलंपिक में कई मौके पर टीम के लिए कई गोल बचाएं और टीम के लिए संकटमोचक बने. इसके अलावा सेमीफाइनल में बेल्जियम से मिली हार के बाद पूरी टीम का हौसला बढ़ाने का काम भी श्रीजेश ने बहुत खूबी से किया.