9 और 99 के फेर में उलझी कांग्रेस:9 खाली पदों के लिए 99 विधायकों में से किसे चुनें, किसे छोड़ें यह बड़ी चुनौती; उपचुनाव के बाद तक खिंच सकता है मामला
कांग्रेस का मंत्रिमंडल विस्तार 9 ओर 99 के फेर में उलझ गया है। राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन और एआईसीसी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के जयपुर दौरे के बाद गहलोत सरकार के मंत्रियों की धड़कने बढ़ गई थीं।
वेणुगोपाल और अजय माकन दोनों ने यही कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार पर फैसला जल्द होगा। सूत्रों का कहना है कि मोटे तौर पर इस बात को लेकर सहमति बन गई है कि मंत्रिमंडल फेरबदल की जगह सिर्फ विस्तार हाेगा। लेकिन खाली पड़े 9 पदों के लिए 99 विधायक टकटकी लगाए बैठे हैं।
गहलोत के लिए पहली चुनौती विरोधियों और वफादारों में से किन्हें चुनें
गहलोत सरकार में अभी 20 मंत्री हैं। इनमें एक आरएलडी से सुभाष गर्ग हैं। बसपा से कांग्रेस में शामिल 6 विधायकाें सहित कांग्रेस के कुल विधायक 106 हैं। गहलाेत और 19 कांग्रेस मंत्रियाें के अलावा 86 विधायक बचते हैं। इनमें विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. सीपी जाेशी भी हैं। 13 विधायक निर्दलीय हैं। यानी 99 विधायक हैं जाे मंत्री नहीं हैं। इनमें 17 विधायक वे हैं जाे पायलट के साथ सरकार के खिलाफ मानेसर गए थे। गहलोत के उन वफादारों की गिनती भी कम नहीं है, जिनका पहली बार में नंबर नहीं आया।
दूसरी चुनौती – जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण भी साधना जरूरी
मंत्रिमंडल विस्तार होगा तो उसमें गहलोत-पायलट समर्थकों को हिस्सेदारी देने के साथ क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को भी साधना होगा। जल्द ही वल्लभनगर और धारियावाद विधानसभा में उपचुनाव होने हैं। पायलट समर्थकों का यह मानना है कि मंत्रिमंडल विस्तार की जगह पुनर्गठन होगा और 15 अगस्त से पहले सब कुछ कर लिया जाएगा। लेकिन कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि 15 अगस्त तक जिलों की कार्यकारिणी ही आएगी।
गहलोत खेमे के मंत्रियों को इसके संकेत भी मिल गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा बुधवार को परिवार सहित छुट्टियां मनाने गोवा चले गए। वहीं वायरल वीडियो में खुद को 4-5 दिन का मेहमान बताने वाले शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के कहने पर विभाग के सचिव को भी बदल कर सरकार ने मैसेज दिया है कि फिलहाल वे कहीं नहीं जा रहे हैं।
पायलट और समर्थकों को राजी रखना भी चुनौती
सचिन पायलट और समर्थकों को उम्मीद है कि आलाकमान ने सभी पक्षों की बात सुन ली है और जो भी फैसला किया जाना है वह जल्द होगा। पायलट समर्थक यह भी कह रहे हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार में देरी होती है तो इससे कांग्रेस आलाकमान की प्रतिष्ठा पर ही असर आएगा क्योंकि लोगों में यह मैसेज जाएगा कि कांग्रेस आलाकमान राजस्थान का सियासी संकट सुलझाने में नाकाम रहा है।
पायलट के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
कई पायलट समर्थक विधायक पिछले दिनों मुख्यमंत्री से मुलाकात भी कर चुके हैं। बीते एक साल से मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर पायलट कई बार दिल्ली में माकन और प्रियंका गांधी तक से मुलाकात कर चुके हैं।