श्रीकृष्णजी अपनी ही तीन लीलाओं के असर से हो गए नीले
पौराणिक कथाओं में है कि श्रीकृष्ण विष्णु अवतार हैं, चूंकि विष्णुजी सदा गहरे सागरों में निवास करते हैं, इसलिए पानी के रंग के चलते भगवान श्रीकृष्ण का रंग भी नीला है. इसी तरह यह भी किवदंती है कि हिंदू धर्म में जिनके पास बुराइयों से लड़ने की शक्ति होती है, उनका चरित्र नीला माना गया है और नीला रंग अनंतता का प्रतीक है. श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार श्रीकृष्ण का नीला रूप सिर्फ उन्हें नजर आता है, जो उनके सच्चे भक्त होते हैं.
पूतना के जहरीले दूध का असर
एक अन्य मान्यता है कि बचपन में गोकुल में रह रहे कृष्ण को मारने के लिए राक्षसी पूतना सुंदरी का रूप धरकर आई. धोखे से उसने कान्हा को गोद में उठाकर अपना जहरीला दूध पिलाना शुरू कर दिया. उसका जहरीला दूध पीने के बाद देवअंश होने के चलते कृष्णजी की मुत्यु तो नहीं हुई, लेकिन शरीर का रंग जरूर नीला हो गया.
कालिया की फुंफकार
यमुना नदी में कालिया नाग रहता था, जिससे गोकुल के सभी लोग परेशान थे. ऐसे में श्रीकृष्णजी कालिया नाग से लड़ने गए तो उसकी फुंफकार और विष के कारण भगवान का रंग नीला हो गया.
अध्यात्मिक-प्राकृतिक कारण भी
कृष्णजी के नीले रंग के पीछे एक और मान्यता है कि प्रकृति यानी सागर, आकाश, झरने आदि का भाग नीला है. प्रकृति का प्रतीक होने से भगवान का रंग भी नीला है. माना जाता है की कृष्णजी का जन्म सभी बुराइयों का विनाश के लिए हुआ था, इसलिए उन्होंने प्रतीक रूप में नीला रंग धारण किया. ब्रह्म संहिता के अनुसार श्रीकृष्ण के अस्तित्व में नीले रंग के छोटे-छोटे बादलों का समावेश है, इसलिए उनका रंग नीला है. इसके अलावा विद्वानों का मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण के नीला होने की वजह उनका आध्यात्मिक स्वरूप है.