दिल्ली आशा कामगार यूनियन ने उत्तराखंड की आशाओं के साथ दिखाई एकजुटता

हल्द्वानी। राज्य में आशाओं को मासिक वेतन, पेंशन और आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा
देने समेत बारह सूत्रीय मांगों को लेकर चल रही आशाओं की राज्यव्यापी बेमियादी हड़ताल के तहत आशा वर्कर्स ने ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले आठवें दिन भी धरना जारी रखा। सर्वप्रथम 9 अगस्त भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पर आज़ादी आंदोलन के शहीदों को याद करते हुए धरने की शुरुआत की गई।
दिल्ली आशा कामगार यूनियन से जुड़ी दिल्ली की आशा वर्कर्स ने उत्तराखंड की हड़ताल कर रही आशाओं का समर्थन किया है और आंदोलन की जीत हेतु क्रांतिकारी शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। इस एकजुटता के लिए ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन दिल्ली आशा कामगार यूनियन का धन्यवाद देती है।
आज के धरना प्रदर्शन से उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन द्वारा जारी बयान में कहा गया कि, “यह हड़ताल सरकार की आशाओं के प्रति गलत नीतियों से उपजी है इसलिए सरकार को तत्काल आशा यूनियन के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए आमंत्रित करना चाहिए और जनता व स्वास्थ्य विभाग के व्यापक हित में आशाओं की माँगों को मानते हुए उनको मासिक वेतन और कर्मचारी का दर्जा देने की घोषणा करनी चाहिये।”
आशा नेताओं ने कहा कि, “कोरोना की तीसरी लहर की चर्चा के बीच सरकार को चाहिए कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करे और इस स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ आशाओं के श्रम का सम्मान करते हुए उनकी बात सुने। अगर इस बार भी सरकार ने आशा वर्कर्स की जायज मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो इस बार इसके खिलाफ पूरे राज्य की आशाएँ एक साथ आंदोलन में हैं और इस बार आरपार की लड़ाई लड़ी जायेगी। अपने हक और सम्मान की लड़ाई लड़ रही आशाएँ एकता और संघर्ष के बल पर अवश्य जीतेंगी। राज्य के मुख्यमंत्री तत्काल आशाओं की मासिक वेतन की मांग को पूरा करें अन्यथा हड़ताल जारी रहेगी।”