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मानसून रूठा:बारिश के अभाव में जल रही फसलें, सिंचित क्षेत्र में अब बिजली आपूर्ति भी महज 5 घंटे

बाड़मेर किसानों को इन दिनों दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तरफ मानसून रुठा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली सप्लाई नहीं हो रही है। यही वजह है कि करीब 50 दिन से बारिश के अभाव में खरीफ की फसलें जल रही है। जिले में अपर्याप्त बारिश के कारण लक्ष्य से 5 लाख हेक्टेयर में कम बुआई हुई है।

लक्ष्य 14.79 लाख हेक्टेयर में बुआई का था, लेकिन 60 दिन में महज 9.27 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई। लाखों रुपए खर्च करके बुआई की गई फसलें खेतों में अंकुरित होने के बाद बारिश के अभाव में फसलें जल गई है। सूखे की आहट से किसानों की चिंता बढ़ रही है। पशुओं के लिए चारे-पानी का भी संकट उत्पन्न हो गया।

इस बीच सिंचाई करने वाले किसानों को आस थी कि पर्याप्त बिजली मिलेगी तो फसलों की सिंचाई कर बचाएंगे, लेकिन 8 घंटे की बजाय बिजली सप्लाई 5 घंटे ही हो रही है। इससे किसानों की दुविधा बढ़ रही है। इसी वजह से जिले के किसान इन दिनों आंदोलित है और 8 घंटे बिजली सप्लाई की मांग कर रहे हैं।

खरीफ 2021 के लिए पहली बारिश 18 जून को हुई थी। इसी के साथ ही किसानों को उम्मीद जगी थी कि कोरोनाकाल के बीच अच्छी बारिश होने से किसानों के लिए फसलों की बंपर पैदावार होगी, लेकिन करीब बारिश के इंतजार में 50 दिन बीत गए। मानसून ऐसा रुठा कि लौट कर नहीं आया।

बुआई का लक्ष्य 14.79 लाख हेक्टेयर

पॉवर कट की वजह से कुछ परेशानी आ रही थी, इसी वजह से सिर्फ एक-दो दिन दिक्कत रही है। राजस्थान में विंड कम होने से उत्पादन की कमी के चलते लोड कम होने से ऐसा हुआ है। किसानों को सरकार ने 6 घंटे बिजली देने के निर्देश है, एक-दो दिनों में फिर से छह घंटे बिजली मिल जाएगी।
-अजय कुमार माथुर, एसई, डिस्कॉम, बाड़मेर।

370 एमएम बारिश की आवश्यकता, हुई महज 103 एमएम
बाड़मेर जिले में खरीफ फसल के लिए 370 एमएम औसत बारिश का आंकड़ा है, लेकिन जून, जुलाई और आधे अगस्त तक महज 103 एमएम बारिश ही हुई है। ऐसे में अपर्याप्त बारिश की वजह से बुआई भी लक्ष्य के मुताबिक नहीं हो गई। अब पिछले डेढ़ माह से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद भी बारिश नहीं हो रही है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई।

इधर, 3 घंटे से महज 5 घंटे ही बिजली मिल रही है। रबी सिंचाई के पिछले साल दिन में 6 और रात में साढ़े छह घंटे बिजली सप्लाई हो रही थी। अब खरीफ सीजन में इससे भी कम कर दिया और महज 5 घंटे बिजली दी जा रही है। इससे जिलेभर के किसान आक्रोशित है। एक तरफ बारिश नहीं वहीं दूसरी तरफ बिजली के अभाव में फसलों की सिंचाई नहीं हो पा रही है।

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