देहरादून में तीन घंटे थमे रहे इलेक्ट्रिक बसों के पहिये, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून। शहर में जनता को प्रदूषणमुक्त व सुविधाजनक सफर के लिए स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की ओर से संचालित की जा रहीं इलेक्ट्रिक बसों के पहिये बुधवार की दोपहर थम गए। वेतन न मिलने से नाराज बसों के चालक व परिचालक कार्य बहिष्कार पर चले गए और बसें ट्रांसपोर्टनगर में कार्यशाला में खड़ी कर दीं। आनन-फानन में कंपनी के अधिकारियों ने ट्रांसपोर्टनगर पहुंचकर चालक-परिचालक से वार्ता की और चौबीस घंटे में वेतन जारी करने का भरोसा दिया। इसके बाद बसों का संचालन शाम को शुरू हो पाया। हंगामे की वजह से करीब तीन घंटे बसों का संचालन बंद रहा।
स्मार्ट सिटी कंपनी के तहत शहर में पहले चरण में 21 फरवरी से आइएसबीटी-राजपुर मार्ग पर पांच स्मार्ट इलेक्ट्रिक बस संचालित की गई थीं। शुरुआती दो माह में करीब 38 लाख रुपये खर्च इन बसों पर आया, जबकि कमाई सिर्फ 11 लाख हुई थी। यानि कमाई से तीन गुना ज्यादा धनराशि इनके संचालन पर खर्च हुई। इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर चरम पर होने पर बस संचालन रोकना पड़ा। जून में दोबारा बसों का संचालन शुरू हुआ। इसके बाद सरकार ने पांच और बसों को दो अलग-अलग मार्गों पर शुरू किया।
बस चालक का वेतन मैसर्स ट्रांस कंपनी देती है, जबकि परिचालक के वेतन के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी राज्य परिवहन निगम को पांच रुपये प्रति किमी के हिसाब से भुगतान करती है। आरोप है कि परिचालकों को मई से वेतन नहीं मिला है, जबकि चालकों का जुलाई का वेतन लंबित है। रोडवेज बसों के शेष परिचालकों को सरकार से मिली मदद पर जून तक का वेतन मिल चुका है जबकि जुलाई का मिलने वाला है।
वेतन नहीं आने से गुस्साए चालक-परिचालकों ने कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल बुधवार दोपहर करीब दो बजे स्मार्ट बसों का संचालन रोक दिया। बसें ट्रांसपोर्टनगर कार्यशाला ले जाकर खड़ी कर दीं।
इस दौरान बंगलुरू से मैसर्स ट्रांस कंपनी के अधिकारियों ने अपने चालकों से फोन पर बात की, जबकि यहां स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने ट्रांसपोर्टनगर में पहुंचकर परिचालकों को मनाया। तब जाकर लगभग तीन घंटे बाद चालक-परिचालक राजी हुए व बस संचालन शुरू हुआ। स्मार्ट सिटी की जनसंपर्क अधिकारी प्रेरणा ध्यानी ने बताया कि वेतन का मामला सुलझा लिया गया है। अगले 24 घंटे में वेतन उपलब्ध करा दिया जाएगा।