डोटासरा ने सचिन पायलट से जारी करवाया राजीव गांधी के जीवन पर आधारित वीडियो, सियासी हलकों में नए समीकरण बनने की आहट
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की खींचतान के कारण मंत्रिमंडल विस्ताार से लेकर कांग्रस की ग्रासरूट नियुक्तियां तक अटकी हैं, लेकिन संगठन को लेकर अब नरेटिव बदलने की शुरुआत हो गई है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने सचिन पायलट को लेकर जिस तरह के जेस्चर्स दिए हैं, उससे कांग्रेस के हलकों में नए सियासी समीकरण बनने का संकेत माना जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में राजीव गांधी के जीवन पर आधारित वीडियो रिलीज करने के मौके पर जिस तरह कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सचिन पायलट को महत्व दिया वह बदलते समीकरणों की तरफ इशारा कर रहा है।
राजीव गांधी के जीवन पर आधारित शॉर्ट वीडियो फिल्म को डोटासरा ने सचिन पायलट से जारी करवाया। इसके बाद पायलट, डोटासरा और सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी को मिलाकर तीनों नेता मंच पर बैठे। डोटासरा ने जिस तरह सचिन पायलट को अहमियत दी, उसे कांग्रेस के जानकार स्वाभाविक नहीं मान रहे, इसे भावी सियासी समीकरणों की आहट के तौर पर देखा जा रहा है।
15 अगस्त को जिस जगह गहलोत ने वीडियो जारी किया वहीं पायलट ने भी किया
राजीव गांधी जयंती पर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में 15 अगस्त को जिस जगह मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा वीडियो रिलीज किया, उसी जगह ठीक पांच दिन बाद सचिन पायलट से राजीव गांधी के योगदान पर वीडियो जारी किया। कांग्रेस के हलकों में इसकी खूब चर्चा है।
पायलट को कार्यक्रम में पूरा महत्व, लेकिन पीसीसी के प्रेस नोट में नाम गायब
सचिन पायलट से प्रदेशसाध्यक्ष डोटासरा ने वीडियो जारी करवाया, लेकिन जब इस कार्यक्रम को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रेस नोट जारी हुआ उसमें केवल गोविंद सिंह डोटासरा का ही नाम था। सचिन पायलट और महेश जोशी कके नाम वीडियो जाी करने वालों में नहीं थे। प्रेस नोट में भले पायलट का नाम नहीं दिया हो, लेकिन पीसीसी में पायलट को महत्व मिलने के पीछे सियासी समीकरण जिम्मेदार हैं।
सचिन पायलट को तरजीह देने के पीछे पंचायतीराज चुनाव के साथ आंतरिक कारण भी
सचिन पायलट को जिस तरह पीसीसी के कार्यक्रम में तरजीह दी गई राजनीतिक प्रेक्षक उसके पीछे पंचायतीराज चुनावों को भी एक कारण मान रहे हैं। पायलट के समर्थक पंचायत चुनावों में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाएं,उइसलिए भी सचिन को महत्व देने की रणनीति अपनाई गई है। सचिन पायलट के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए डोटासरा सीकर के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। हाल ही जब डोटासरा पर रिश्तेदारों के आरएएस परीक्षा के इंटरव्यू में ज्यादा नंबर दिलाने के आरोप लगे तो पायलट समर्थक विधायक उनके पक्ष में उतरे थे।
सचिन पायलट पिछले कई दिनों से शांत, इस शांति के पीछे सियासी चाल
सचिन पायलट पिछले लंबे समय से चुप हैं, उन्होंने कांग्रंस की सियायत पर कोई बयान नहीं दिया। हाल ही प्रदेश प्रभारी अजय माकन भी गहलोत-पायलट से लगातार संपर्क की बात कह चुके हैं। पायलट की चुप्पी को रणनीतिक माना जा रहा है। पायलट समर्थक जरूर बयान देते रहे हैं, लेकिन पायलट ने रणनीति के तहत पूरे विवाद पर कभी बयानबाजी नहीं की।
पायलट की निगाह अब एक सधे सब सधे थ्योरी पर
सचिन पायलट के करीबियों के मुताबिक वे अब एक सधे सब सधे थ्योरी पर काम कर रहे हैं। बताया जाता है कि पायलट ने अब मंत्रिमंडल विस्तार पर सियासी गुणाभाग के आधार पर ज्यादा रुचि लेना छोड़ दिया है। पायलट कैंप के वरिष्ठ नेता भी मान रहे हैं कि जो भी मंत्री बनेगा वह मुख्यमंत्री को रिपोर्ट तो करेगा ही खेमा भी बदल लेगा। इसलिए पायलट का सियासी नरेटिव बदला हुआ दिख रहा है।