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शहडोल की सांझी रसोई की गूंज लंदन तक पहुंची

शहडोल। कोविड-19 महामारी ने पूरे विश्व में मौत का ऐसा तांडव मचाया की एक स्थिति ऐसी भी आई जिसमें अपनों ने ही अपनों का साथ तक छोड़ दिया। लेकिन सांझी रसोई के सेवादारों ने वह कर दिखाया जिसकी गूंज आज भारत में ही नहीं बल्कि विदेश की धरती पर भी सुनाई दे रही।

शहडोल की सांझी रसोई ने अपने हिम्मत और टीम की एकजुटता से शहर में किसी को भी भूखा ना सोने देने का संकल्प लिया। सांझी रसोई मीट एक साथी सोशल सर्विस समिति है जो एक जनवरी 2020 से संचालित है। इस समिति ने अपने मानवीय संवेदनाओं पर आधारित कार्यों के बल पर आज देश की सीमाओं से बाहर निकलकर लंदन स्थित वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड संस्था द्वारा सम्मानित हुई।

कोविड 19 महामारी के दौरान जिन समाजसेवियों ने पूरे भारतवर्ष में काम किया है उनमें से कुछ लोगो को वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड ने अपनी पुस्तक में स्थान दिया है उसमे शहडोल की सांझी रसोई को भी उस पुस्तक में स्थान मिलेगा। गौरतलब है सांझी रसोई द्वारा शुरुआत से आज तक लगभग साढ़े पांच लाख लोगो को मात्र 5 रुपए मे पेट भर भोजन कराया है।

सांझी रसोई के सेवादार नहीं चाहते अपना नाम: सांझी रसोई के सेवादार कभी भी अपने नाम ओर चेहरे का प्रदर्शन नहीं करते हैं। आज तक इंटरनेट मीडिया मे भी किसी का नाम व चेहरा कहीं पोस्ट नहीं किया गया। सांझी का मतलब सबकी इस विचार को लेकर चल रही युवाओं की टोली ने पूरे जिले को गौरांवित होने का अवसर दे दिया। समिति के अनुसार सम्मान सांझी रसोई को नहीं समस्त शहडोल वासियों को मिला है क्योंकि इसका संचालन समस्त शहडोल वासियों के सहयोग से होता है इसलिए इसका नाम सांझी रसोई है। सांझी रसोई का भी सपना है की शहडोल को city where no one sleeps hungry टाइटल मिलना चाहिए। एक ऐसा शहर जहा कोई एक व्यक्ति भी भूखा न सोए।

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