बस ऑपरेटर्स का विराेध:प्राइवेट बसों का टैक्स 45 हजार तो रोडवेज बसों का 26 हजार क्याें ?

सरकार की ओर से प्राइवेट बसों की जा रही उपेक्षा और टैक्स माफ नहीं करने के विरोध में बस ऑपरेटर्स ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। ऑपरेटर्स ने सरकार की दोहरी नीति एवं निजी क्षेत्र से सौतेले व्यवहार के विरोध में 28-29 अगस्त काे देवली के एक रिसोर्ट में अधिवेशन रखा है। अधिवेशन में स्टेज कैरिज, काॅन्ट्रेक्ट कैरिज, लाेक परिवहन सेवा, टूरिस्ट बसें और मिनी बसाें सहित अन्य बसाें के मालिक शामिल हाेंगे।
राजस्थान बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल कुमार जैन ने बताया कि इसमें 35 हजार वाहनों के 1 हजार से अधिक वाहन स्वामी शामिल होंगे। बसों के संचालन में आ रही समस्याओं पर मंथन करेंगे। इसमें सरकार से एक साल का टैक्स माफ करने, बसों में सीएनजी लगाने के लिए 3 लाख रुपए का ब्याज मुक्त अनुदान देने, टैक्स रोडवेज बसों के बराबर करने, प्राइवेट बसों के स्टैंड के लिए जमीन आवंटन करने, सीएनजी पंप के लिए जमीन उपलब्ध कराने, ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाली बसों को सब्सिडी देने की मांग रखी जाएगी।
जैन ने बताया कि सरकार रोडवेज की 3,500 बसों के संचालन के लिए हर साल करीब 600 करोड़ रुपए का अनुदान देती है, जबकि प्राइवेट बस ऑपरेटर्स एक साल का 160 करोड़ रुपए टैक्स माफ करने की मांग कर रहे हैं। यह स्थिति तो तब है जब सरकार रोडवेज बसों से हर महीने 26 हजार रुपए टैक्स लेती है, जबकि प्राइवेट बस से 45 हजार रुपए टैक्स ले रहा है। डीजल की दरों में भारी बढ़ोतरी के बावजूद सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं मिलने से बसें बंद हो रही हैं। 10 हजार लोग बेरोजगार हो रहे हैं। लगभग 2 लाख लोगों के सामने रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा।