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पंचायतीराज चुनाव में नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर:गहलोत के गृह जिले और पूनिया के क्षेत्र में चुनावों के परिणामों से तय होगा सियासी नरेटिव, 6 मंत्रियों और 33 विधायकों की ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ का टेस्ट

पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के चुनाव में गुरुवार को पहले फेज की वोटिंग है, इसके बाद दूसरे फेज में 29 अगस्त और फिर 1 सितंबर को वो​टिंग है। छह जिलों में हो रहे पंचायतीराज चुनाव में 6 मंत्रियों और 33 विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सीएम के गृह जिले जोधपुर और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के निर्वाचन क्षेत्र आमेर के परिणामों से कांग्रेस-बीजेपी की सियासत का अगला नरेटिव बनेगा। आमेर पंचायत समिति के लिए वोटिंग गुरुवार को है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अपने क्षेत्र में कितने पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य जितवा पाते हैं इस पर सबकी निगाहें हैं। दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला है।

छह जिलों में जोधपुर सबसे हॉट है, जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला, मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह का संसदीय क्षेत्र है। जोधपुर में सीएम और केंद्रीय मंत्री शेखावत के बीच मुकाबला है। कांग्रेस के भीतर भी सियासी परिवारों के बीच भारी प्रतिस्पर्धा है। जयपुर जिले में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, राज्य मंत्री राजेंद्र यादव, भरतपुर में गृह रक्षा राज्य मंत्री भजनलाल जाटव और दौसा में सहकारिता मंत्री परसादीलाल मीणा, महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश के लिए ये चुनाव ग्राउंड पर पकड़ का टेस्ट होंगे। 6 जिलों के पंचायतीराज चुनाव गहलोत सरकार के लिए ग्रामीण इलाकों का मिनी रेफरेंडम माने जाएंगे।

सीएम के गृह जिले में सियासत चरम पर, सीएम, केंद्रीय मंत्री और सियासी परिवारों की प्रतिष्ठा का सवाल
जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है इस कारण यहां सियासत भी सबसे ज्यादा उलझी हुई है। मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत लोकसभा का चुनाव लड़कर हार चुके हैं। वैभव ने इन चुनावों में भी प्रचार किया है। कांग्रेस के सामने बेहतर प्रदर्शन की चुनौती है। जोधपुर सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह की प्रतिष्ठा भी इन चुनावों से जुड़ी है। जोधपुर में 10 में 7 विधायकों के इलाके ग्रामीण क्षेत्र में आते हैं। ग्रामीण इलाकों की सात में से 5 सीटों पर कांग्रेस विधायक हैं, इसलिए प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है।

बिलाड़ा में कांग्रेस विधायक हीराराम मेघवाल, लोहावट में किशनाराम विश्नोई, लूणी में महेंद्र विश्नोई, ओसियां में दिव्या मदेरणा,शेरगढ़ में मीना कंवर के सामने प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। फलौदी में बीजेपी विधायक पब्बाराम बिश्नोई और भोपालगढ में आरएलपी विधायक पुखराज गर्ग की ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ का टेस्ट होना है।

जयपुर जिले में 2 मंत्री, 4 कांग्रेस और 3 समर्थक निर्दलीयों, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष और 3 बीजेपी विधायकों और विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर
जयपुर जिले में झोटवाड़ा विधायक और कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, कोटपूतली विधायक राजेंद्र यादव के साथ आमेर से विधायक बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की प्रतिष्ठा दांव पर है। चाकसू से पायलट समर्थक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी, विराटनगर से इंद्राज गुर्जर, जमवारामगढ़ से गोपाल मीणा और बगरू से कांग्रेस विधायक गंगादेवी का ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ का टेस्ट होना है। दूदू से निर्दलीय बाबूलाल नागर, शाहपुरा से निर्दलीय आलोक बेनीवाल और बस्सी से निर्दलीय लक्ष्मण मीणा की प्रतिष्ठा दांव पर है। इसी तरह चौमू में बीजेपी विधायक रामलाल शर्मा, फुुलेरा में निर्मल कुमावत और सांगानेर में अशोक लाहोटी का ग्रामीण इलाकों में पकड़ का टेस्ट होना है।

दौसा में 2 मंत्री, 3 विधायकों और 2 सांसदों की प्रतिष्ठा से जुड़ा चुनाव
दौसा में कांग्रेस बीजेपी के दिग्गजों के बीच ग्रामीण इलाकों में सियासी पैठ का आकलन होना है। लालसोट विधायक और सहकारिता मंत्री परसादीलाल मीणा, सिकराय से विधायक महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश, दौसा विधायक मुरारीलाल मीणा, बांदीकुई विधायक जीआर खटाणा, महवा से निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला के सामने चुनौती है। दौसा में बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा और सांसद जसकौर मीणा के प्रभाव का आकलन भी होगा।

सवाईमाधोपुर में तीन कांग्रेस और 1 निर्दलीय विधायक का टेस्ट
सवाईमाधोपुर जिले में कांग्रेस के तीन और एक निर्दलीय विधायक का इन चुनावों में टेस्ट होना है। ढाई साल बाद ग्रामीण जनता पर कितनी पकड़ है इसका अंदजा होना है। बामनवास से कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा, खंडार से अशोक गैरवा, सवाईमाधोपुर से दानिश अबरार की इन चुनावों में ग्रामीण इलाकों में पकड़ का अंदाजा होगा। पूर्व ससंदीय सचिव और बीजेपी नेता जितेंद्र गोठवाल भी इन चुनावों में सक्रियता से लगे हैं।

भरतपुर में 2 मंत्रियों का टेस्ट, सभी विधायक सत्ताधारी पार्टी के, अब प्रदर्शन दोहराने की चुनौती
भरतपुर में सभी विधायक सत्ताधारी पार्टी के हैं, इस बार पंचायतीराज चुनाव में प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। भरतपुर में दो मंत्री, चार विधायकों की ग्राउंड पकड़ का टेस्ट होना है। वैर से विधायक और राज्य मंत्री भजनलाल जाट, भरतपुर से आरएलडी विधायक और मंत्री सुभाष गर्ग, पूर्व मंत्री और डीग कुम्हेर विधायक विश्वेंद्र सिंह, नगर विधायक वाजिब अली, कामां विधायक जाहिदा खान, बयाना विधायक अमर सिंह जाटव के सामने कांग्रेस के प्रधान बनाने की चुनौती है। पूर्व विदेश मंत्री जगत सिंह के बेटे की बीजेपी में एंट्री के बाद से भी सियासत गर्माई हुई है।

सिरोही में कांग्रेस का कोई विधायक नहीं, 2 बीजेपी विधायकों और 1 निर्दलीय का टेस्ट
सिरोही में कांग्रेस का कोई विधायक नहीं है। सिरोही से गहलोत समर्थक निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ही पंचायतीराज चुनावों में कांग्रेस की तरफ से ग्राउंड पर सियासत कर रहे हैं। टिकट वितरण में भी उनकी ही ज्यादा चली है। राज्यसभा सांसद नीरज डांगी भी सिरोही से हैं। उनके भी कुछ समर्थक चुनावी मैदान में हैं। सिरोही में बीजेपी नेता ओटाराम देवासी, रेवदर से बीजेपी विधायक जगसीराम कोली, आबू पिंडवाड़ा से बीजेपी विधायक समाराम गरासिया की प्रतिष्ठा दांव पर है।

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