पचपदरा रिफाइनरी के फाउंडेशन का काम पूरा:कार्बो बंदरगाह से पचपदरा पहुंची डीसीयू यूनिट की मशीनरी

बालोतरा हमारी पचपदरा रिफाइनरी अब आकार लेने लगी है। फाउंडेशन का काम पूरा हो जाने के बाद काफी समय से रिफाइनरी के अलग-अलग प्रोजेक्ट पर तेजी से काम होने लगा है। इसको लेकर सड़क मार्ग से बड़ी मशीनरी भी यहां पहुंचने लगी हैं, जो लोगों के लिए कौतुहल का विषय बने हैं।
मंगलवार को गुजरात की ओर से ट्रक से अटैच कर लाए गए ओवर डेमेंशन कार्बो (ओडीसी) को देखने लोगों की भीड़ लग गई। ये कार्बो बंदरगाह से सड़क मार्ग के जरिए पचपदरा रिफाइनरी भेजे जा रहे हैं। इन्हें फ्रेक्सनेटर कॉलम बोलते हैं, जो डीसीयू यूनिट के लिए लाए जा रहे हैं। इनकी हाइट 6.5 मीटर है।
इसके साथ पूरी एक टीम चलती हैं, जो रास्ते में आने वाले बिजली के तारों को ऊंचा करने के साथ हाइवे पर जगह-जगह लगे ऊंचे साइन बोर्डों को भी क्रेन के जरिए ज्यादा ऊंचा कर कार्बो को पास करवाने का काम करती है। हालांकि हाइवे पर लगे साइन बोर्डों की ऊंचाई पहले से ही बहुत ज्यादा ही होती है, मगर इन ओडीएस की ऊंचाई इससे भी ज्यादा होने के चलते साइन बोर्ड को दो क्रेनों के जरिए ऊंचा उठाया जाता है और फिर कार्बो को पास करवाया जाता है। बालोतरा-पचपदरा के बीच हाइवे से लिए गए दृश्य।
डिलेड कोकिंग यूनिट कच्चे तेल का प्रोसेस
इसमें डिलेड कोकिंग युनिट प्रोसेस है, यानि कच्चे तेल को गर्म करने की प्राथमिक प्रक्रिया। इसमें कच्चा तेल डाला जाता है, जिसमें गर्म होने के बाद 18 से 30 प्रतिशत वेट निकल जाता है। इसके अंदर कच्चे तेल को गर्म करके थर्मल क्रेकिंग होती है। यह प्रक्रिया एक फर्नेस मल्टीपल पासेज से होती है। यानि इसके अंदर कच्चे तेल को थर्मल क्रेकिंग तापमान पर गर्म किया जाता है।
इसके अंदर लगे अलग-अलग पाइपों के जरिए कच्चे तेल को तीव्र भट्टी में गर्म किया जाता है। इस प्रक्रिया में भारी कच्चे तेल के हाइड्रो कार्बन मॉलीक्यूल अलग-अलग कोकर गैस ऑयल व पेट्रोलियम कोक में टूट जाते हैं। इसके बाद कच्चे तेल से अलग-अलग प्रोडक्ट बनते हैं।