देश की एक्सपर्ट एसोसिएशन ने केद्र को लिखी चिट्ठी, कहा- दोनों डोज़ के बीच गैप को किया जाए कम
नई दिल्ली : कोरोना जैसे जैसे रुप बदल रहा है, वैसे वैसे इसकी चुनौतियां भी बदल रही हैं. ताजा अपडेट वैक्सीन डोज में समय के अंतर को लेकर आया है. देश में पब्लिक हेल्थ की दो बड़े एक्सपर्ट एसोसिएशन ने सरकार से कोविशील्ड की दो डोज में अंतर को कम करने की सिफारिश की है. इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन ने कोविशील्ड की डोज में 12 हफ्ते की बजाय 8 हफ्ते के अंतर करने के लिए केंद्र सरकार को लिखा है. दो डोज के अंतराल को कम करने की सिफारिश में सबसे बड़ी दलील वायरस के नए म्यूटेंट में बदलना और नए स्ट्रेन का पैर पसारने की दी जा रही है. फिलहाल कोविशील्ड देश की वैक्सीनेशन ड्राइव में अव्वल पर है. जब देश में वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी, तब की दो डोज में 28 से 42 दिनों का अंतर था, फिर दोनों डोज में 28 से 56 दिनों का अंतर रखा गया और अब कोविशील्ड वैक्सीन की डोज में 84 से 112 दिनों का अंतर जरुरी किया गया है. एसोसिएशन का क्या तर्क है? सरकार ने तब कोविशील्ड की दोनों डो़ज में ज्यादा अंतर को वैक्सीन की प्रभावी क्षमता बढ़ाने के लिए जरुरी बताया था, लेकिन अब एक्सपर्ट एसोसिएशन कोरोना के नए नए वैरिएंट से बचाव के लिए गैप को कम करने की मांग कर रहे हैं. IPHA की डॉ. सुनीता गर्ग ने कहा, ”अस्सी प्रतिशत केस डेल्टा वेरिएंट के आ रहे हैं, हम जानते हैं कि डेल्टा वेरिएंट ज्यादा संक्रमण फैलाता है. इससे होने वाला संक्रमण भी ज्यादा गंभीर हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि हम दो डोज़ के गैप को करें और आठ हफ्ते के अंदर अंदर ही दोनों डोज़ दिए जाएं. वहीं, IPHA के अध्यक्ष डॉ. संजय राय ने कहा, ”ब्रिटेन में पहले गैप बढ़ाया गया था, लेकिन अगर इसमें गैप बढ़ाया जाता है तो आप उतने दिन तक सुरक्षित नहीं रहते हैं. इसलिए ब्रिटेन ने इस गैप को कम कर दिया. दोनों डोज़ मिलने के दो हफ्ते के बाद ही शरीर कोरोना से लड़ने के लिए सुरक्षित होता है.” साल के अंत तक सरकार का लक्ष्य देश की पूरी आबादी को टीका लगाने का है. एक्सपर्ट का ये भी मानना है कि गैप करने से ज्यादा से ज्यादा आबादी को भी टीका लगेगा. वहीं सरकार खुद सिंतबर से अक्टूबर के बीच तीसरी लहर की आशंका भी जता चुकी है.