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पायलट के फील्ड दौरों से गरमाएगी कांग्रेस की सियासत:मिजाज भांपने और समर्थकों में जोश भरने फिर शुरू किए फील्ड के दौरे, अलग-अलग इलाकों के दौरे की तैयारी में जुटे सचिन

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जारी खींचतान के बीच पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने राजधानी छोड़ फील्ड के दौरे करने की रणनीति बनाई है। पायलट ने गहलोत के गृह क्षेत्र से सियासी दौरों की शुरुआत कर दी है। सचिन पायलट की अब लगातार फील्ड में सक्रिय रहकर प्रदेश के अलग अलग इलाकों में दौरे करने की रणनीति है। फील्ड के दौरों के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अब पायलट लगातार दौरे करेंगे। उनके फील्ड दौरों से कांग्रेस की सियासत गरमाएगी।

सचिन पायलट के रणनीतिकारों ने टाइमिंग का भी ध्यान रखा है। रणनीतिकारों ने सियासी महत्व के इलाकों और इवेंट्स को छांटकर उनमें पायलट के लिए दौरे तय ​किए हैं। प्रदेश के हर इलाके में पायलट की पहुंच बनाने की रणनीति पर काम चल रहा है। पायलट अब जल्द नहरी क्षेत्र का दौरा कर सकते हैं।

समर्थकों में जोश भरने और जनता तक रीच बढ़ाने की कवायद
सचिन पायलट के फील्ड दौरों के पीछे समर्थकों में जोश भरने की कवायद है। लंबे समय से कोरोना की लहर की वजह से नेताओं के दौरे बंद थे। फिर से हालात सामान्य हुए हैं, इसलिए पायलट ने दौरों पर निकलने का फैसला किया है। सियासी जानकारों के मुताबिक सचिन पायलट अब जनता के बीच रहने वाले नेता की छवि बनाना चाहते हैं, इसलिए इलाके वार दौरे करने की रणनीति बनाई है। सियासी अहमियत रखने वाले हर इलाके में कार्यक्रमों में जाने की भी तैयारी है। पायलट ने पिछले तीन दिन में बाड़मेर, जोधपुर, अजमेर और अलवर जिले के दौरे करके सियासत को गरमा दिया है।

बुधवार को अलवर दौरे पर जाते समय दौसा जिले में समर्थकों के बीच सचिन पायलट
बुधवार को अलवर दौरे पर जाते समय दौसा जिले में समर्थकों के बीच सचिन पायलट

पायलट के दौरों से गहलोत समर्थकों की दूरी, इसी वर्टिकल डिविजन में अवसर
सचिन पायलट के हाल के जोधपुर, बाड़मेर के दौरों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक कोई विधायक और नेता स्वागत के लिए नहीं पहुंचा। गहलोत और पायलट खेमों के बीच यह वर्टिकल डिविजन ऊपर से लेकर नीचे तक साफ देखा जा सकता है। सचिन पायलट इसी वर्टिकल डिविजन में अवसर खोज रहे हैं। पिछले अरसे से कांग्रेस में चल रही खींचतान से यह नरेटिव भी बना है कि कांग्रेस की सियासत में गहलोत विरोधियों के नेता के तौर पर सचिन पायलट टॉप पर हैं। पायलट ने अब ग्राउंड कनेक्ट पर खास जोर देने का फैसला किया है।

पायलट के दौरों की टाइमिंग के सियासी मायने
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोरोना के खतरे का हवाला देकर फिलहाल राजनीतिक दौरे नहीं कर रहे हैं। पूरे कोरोना काल में ही गहलोत जयपुर से बाहर बहुत कम गए हैं। गहलोत कोरोना के कारण अपने गृह जिले जोधपुर भी नहीं गए हैं। सचिन पायलट ने ऐसे वक्त में फील्ड के दौरे करने का फैसला किया है। पायलट के दौरे बढ़ने पर कांग्रेस में अंदरूनी सियासी पारा भी चढ़ेगा और फिर दोनों के बीच फील्ड में निकलने को लेकर तुलना भी होने लगेगी। उन्होंने अब लगातार फील्ड में सक्रिय रहने की रणनीति इन्हीं सियासी कारणों से की है। प्रदेश में चल रहे पंचायती राज चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवारों के चुनाव कार्यालयों के उद्घाटन करके पार्टी के लिए फील्ड में काम करने का मैसेज देने की भी कवायद है।

साल भर से पायलट कैंप के मुद्दे अनसुलझे
सचिन पायलट और उनके खेमे के विधायक-नेता पिछले साल सुलह के वक्त तय हुए मुद्दों के समाधान की राह देख रहे हैं। बगावत के बाद हुई सुलह को 13 माह से ज्यादा का वक्त बीत गया है, लेकिन पायलट कैंप के उठाए मुद्दे अब तक अनसुलझे हैं। पायलट कैंप अब जल्द मंत्रिमंडल विस्तार, राजनीतिक और संगठनात्मक नियुक्ति चाहता है, इन सब नियुक्तियों में बराबर की हिस्सेदारी पर पेंच अटका हुआ है।

क्षेत्रीय-जातीय समीकरण साधने की कवायद
सचिन पायलट फील्ड के दौरे करके अब क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधने की कवायद में भी जुटे हुए हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक पायलट विरोधी खेमे को सियासी जवाब देने के लिए अब जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए हर क्षेत्र में जाने की रणनीति बनाई है। इलाकेवार सियासी महत्व की जगहों पर जाकर लोगों और प्रभाव वाले नेताओं से मुलाकात इसी रणनीति का हिस्सा है।

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