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जीआर मेडिकल कालेज में शाेध शुरू, गर्भवती महिला संक्रमित है ताे कैसे किया जाए इलाज

ग्वालियर । महिला के गर्भ व उसमें पल रहे शिशु पर कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव पर जीआर मेडिकल कालेज के स्त्रीरोग विशेषज्ञ शोध कर रहे हैं। जिसमें इस बात का पता लगाया जाएगा कि गर्भवती महिला जब संक्रमण का शिकार बनी तो उसे अन्य महिलाओं की अपेक्षा क्या परेशानियां बढ़ीं तथा गर्भ में पल रहे शिशु में खून का संचार ठीक से रहा या नहीं। इस शोध का उद्देश्य यह है कि जो गर्भवती महिलाएं प्रसव पीड़ के चलते कमलाराजा अस्पताल पहुंचती हैं। यदि वह संक्रमण का शिकार हैं तो उन्हें किस तरह से व क्या इलाज दिया जाए। जिससे वायरस का उन पर उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े। गर्भवती महिला का प्रसव या सीजेरियन डिलीवरी कराने के लिए अलग से गाइडलाइन तैयार की जा सके। इथीकल कमेटी से इजाजत मिलने के बाद यह शोध कार्य शुरू किया गया है।

850 महिलाओं पर किया जा रहा शोध: पहली लहर में कमलाराजा अस्पताल में 550 गर्भवती महिलाएं प्रसव पीड़ा के चलते पहुंची थी, जबकि दूसरी लहर में करीब 300 गर्भवती महिलाएं पहुंचीं। इनमें से कुछ महिलाओं की सामान्य डिलीवरी हुई तो कुछ की सीजेरियन करानी पड़ी। इन 850 महिलाओं में 18 महिलाएं ऐसी थीं जिनकी डिलीवरी के दौरान मौत हो गई, जबकि डिलीवरी के बाद तीन शिशुओं में संक्रमण पाया गया।

इन बातों पर किया जा रहा शोधः कमलाराजा अस्पताल में पहुंची गर्भवती महिलाओं में संक्रमण के अलावा और कौन-कौन सी बीमारी पहले से थीं। कितनी महिलाओं को अस्थमा या मधुमेह या अन्य कोई बीमारी थी। कोरोना संक्रमण होने से उनके रोग में कितनी वृद्धि हुई और उससे गर्भ या शरीर की अन्य इंद्रियों पर क्या प्रभाव पड़ा। समय से पहले डिलीवरी हुई या नहीं, प्रसव के दौरान रक्तश्रव हुआ तो कितना हुआ, गर्भ में पल रहे बच्चे तक खून की सप्लाई ठीक से हुई या नहीं। जन्म के दौरान बच्चे का वजन कम रहा तो कितना कम था। गर्भवती महिला व प्रसव से पहले शिशु की गर्भ में मौत या जन्म के दौरान अथवा बाद में मौत होने के क्या कारण रहे।

केआरएच में करीब 1200 संक्रमित गर्भवती महिलाओं की पिछले डेढ़ साल में डिलीवरी हुई। शोध में यह देखा जा रहा है कि वायरस का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु या मां पर कोई खास प्रभाव तो नहीं डाल रहा है। इसलिए तो गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण शुरू किया गया।

डा.वृंदा जोशी, विभागाध्यक्ष स्त्रीरोग विभाग, जीआर मेडिकल कालेज

पहली व दूसरी लहर में कुल 850 गर्भवती महिलाएं केआरएच पहुंचीं, जो संक्रमित थीं। इन महिलाओं व उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर वायरस के प्रभाव का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे नई गाइडलाइन तैयार कर गर्भवती व उसके पेट में पल रहे शिशु पर वायरस के दुष्प्रभाव को रोका जा सके।

प्राे प्रतिभा जैन, स्त्रीरोग विभाग जीआर मेडिकल कालेज

 

 

 

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