कोयले की किल्लत:पावरलेस हाउस में 3-4 दिन का कोयला बचा, 20 रु./यूनिट में भी नहीं मिल रही बिजली
जयपुर प्रदेश में कोयले की किल्लत से बिजली संकट बदस्तूर जारी है। बारिश न होने और पारा बढ़ने से नॉदर्न ग्रिड में कमी के कारण ओपन मार्केट में बिजली की रेट अधिकतम 20 रुपए प्रति यूनिट तक पहुंच गई है। चिंता की बात ये है कि इस रेट पर भी बिजली नहीं मिल रही है। इस संकट का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। उन्हें कटौती के साथ-साथ महंगी बिजली की मार झेलनी पड़ेगी।
प्रदेश में कोल इंडिया से कोयला न मिलने के कारण कालीसिंध पावर प्लांट व सूरतगढ़ पावर प्लांट से 2100 मेगावाट बिजली नहीं मिल रही है और महंगी रेट पर बिजली खरीदने के बावजूद गांव व कस्बों में कटौती करनी पड़ रही है। प्रदेश के बिजली घरों को रोजाना 10 रैक कोयला चाहिए, लेकिन केवल 4 रैक कोयला ही मिल रहा है। एक रैक में 4 हजार टन कोयला आता है। बिजलीघरों के पास सिर्फ 3-4 दिन का कोयला बचा है। कोल इंडिया ने दूसरी खदानों से कोयला लाने की मंजूरी न दी तो संकट बढ़ सकता है।
ऐसे बिगड़े हालात- कालीसिंध बिजलीघर में 600 और सूरतगढ़ में 1500 मेगावाट उत्पादन बाधित
प्रदेश के बिजलीघरों में केवल 3-4 दिन का कोयला ही बचा है। वहीं कोयला न होने से कालीसिंध बिजलीघर की 600 मेगावाट और सूरतगढ़ बिजलीघर की छह यूनिट में 1500 मेगावाट बिजली उत्पादन नहीं हो रहा है। कवाई में अडानी का 600 मेगावाट का बिजलीघर भी बंद है। वहीं कोटा बिजलीघर की 210 मेगावाट व छबड़ा सुपर क्रिटिकल बिजलीघर की 660 मेगावाट की यूनिट वार्षिक मेंटीनेंस के कारण बंद पड़ी है।
ऊर्जा मंत्री बोले- गत सरकार हजारों करोड़ रु. का उधार छोड़ गई थी, इसलिए ये हालात बने
ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला की दलील है कि बिजली की कमी पिछली सरकार के कुप्रबंधन का परिणाम है। पिछली सरकार के कार्यकाल में वितरण निगमों द्वारा उत्पादन निगम को भुगतान नहीं करने के एवज में उत्पादन निगम को कर्ज लेना पड़ा, जिससे उत्पादन निगम की आर्थिक हालत खराब हुई।
गत सरकार डिस्कॉम पर 53 हजार करोड़ का उधार का भार व उत्पादन निगम पर 45 हजार करोड़ के लोन छोड़कर गई थी। अभी प्रदेश के बिजलीघरों को रोजाना 3-4 रैक कोयला ही मिल रहा है, जरूरत 8-9 रैक की है। रेलवे के पास रैक न हो तो राज्य सरकार ट्रकों से खदानों से कोयला मंगवाएगी। एक सप्ताह में हालात समान्य हो जाएंगे।