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कोयले की किल्लत:ऊर्जा मंत्री डॉ. कल्ला के गृह जिले में 250-250 मेगावाट के दो पॉवर प्रोजेक्ट 6 साल से होल्ड

प्रदेश में कोयले की बड़ी किल्लत के कारण पॉवर प्लांट बंद होने के कगार पर हैं। रोजाना 10 रैक कोयला चाहिए, लेकिन चार रैक ही मिल रहे हैं। जबकि उर्जा मंत्री बीडी कल्ला के गृह जिले बीकानेर में ही कोयले (लिग्नाइट) का अकूत भंडार है, जिससे 50 सालों तक 800 मेगावाट से ज्यादा बिजली बनाई जा सकती है।

भास्कर ने जब पड़ताल की तो पता चला कि जीएसआई और भूवैज्ञानिकों की खोज के मुताबिक बीकानेर जिले में करीब 1000 मिलियन टन लिग्नाइट है, जिससे 50 सालों तक 800 मेगावाट से ज्यादा बिजली बनाई जा सकती है। वर्तमान में बरसिंगसर में 250 और गुढ़ा में 125 मेगावाट के लिग्नाइट बेस दो पॉवर प्लांट में बिजली बन भी रही है। बरसिंगसर में केन्द्र सरकार के उपक्रम नेयवली इंडिया लिमिटेड को 20 लाख टन लिग्नाइट प्रतिवर्ष खनन की अनुमति है।

वहां 12 से 15 लाख टन लिग्नाइट ही खनन कर काम में लिया जा रहा है। बीकानेर में लिग्नाइट बड़ी उपलब्धता को देखते हुए नेयवली ने बीठनोक में 250 मेगावाट का एक और प्लांट लगाने व हाडला में माइनिंग कर बरसिंगसर पॉवर प्लांट को 500 मेगावाट तक बढ़ाने की योजना बनाई थी, लेकिन वर्ष 2017 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने बिजली खरीदने से मना कर दिया और दोनों प्रोजेक्ट पर काम बंद हो गया था।

तत्कालीन भाजपा सरकार में रिसर्जेंट राजस्थान के दौरान हुआ था एमओयू

बीठनोक में 2709 करोड़ रुपए की लागत से 250 मेगावाट और बरसिंगसर में हाडला के लिग्नाइट से 2635 करोड़ रुपए लागत से 250 से बढ़ाकर 500 मेगावाट का प्लांट लगाने के लिए 2010 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार और नेयवली के बीच एग्रीमेंट हो गया था। इसमें 4.30 रुपए प्रति यूनिट की दर से सरकार को बिजली देना तय हुआ। 2015 में तत्कालीन भाजपा सरकार के समय जयपुर में आयोजित रिसर्जेंट राजस्थान के दौरान भी एमओयू हुआ।

बीठनोक में तो जमीन का अधिग्रहण कर करीब 100 करोड़ रुपए का मुआवजा भी दिया गया। नेयवली ने दोनों पॉवर प्लांट लगाने का काम 3700 करोड़ रुपए में मैसर्स रिलायंस इंडिया लिमिटेड को सौंप दिया था। लेकिन, बाद में बिजली की दर पांच रुपए प्रति यूनिट होने पर सरकार ने महंगी बताकर लेने से इंकार कर दिया। नेयवली ने मई, 17 में काम रोक दिया और तब से दोनों परियोजनाएं ठप हैं। अब सरकार ओपन मार्केट में 20 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीदने का तैयार है पर नहीं मिल पा रही।

  • बीकानेर में इतना लिग्नाइट कोयला है कि 50 सालों तक 800 से 1000 मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है। ब्यूरोक्रेट्स को भी सरकार तक सही जानकारी पहुंचानी चाहिए। – वी.पी. गहलोत, रिटायर्ड अधीक्षण भू वैज्ञानिक
  • बीकानेर में नेयवली को 1000 मेगावाट बिजली बनानी चाहिए। दोनों प्रोजेक्ट भाजपा सरकार ने बंद करवाए थे। नेयवली सरकार को पत्र लिखे तो सरकार सहयोग के लिए तैयार है। – बीडी कल्ला, ऊर्जा मंत्री
  • पिछले दिनों बीठनोक और हाडला प्रोजेक्ट पर जयपुर में उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। बीठनोक में माइनिंग के लिए ब्लॉक आबंटित करने के प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजना तय किया है। हाडला में मीन अधिगृहण नहीं हुआ। – राजेन्द्र बलारा, खनिज अभियंता बीकानेर

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