मानसून के दूसरे दौर में भी कम बारिश:बीकानेर सहित पश्चिमी राजस्थान में बादल बरसे, लेकिन किसान की जमीन अब भी पानी को तरसे, दस में से सात जिलों में कम है बारिश
मानसून का दूसरा दौर शुरू हो चुका है, बीकानेर सहित पश्चिमी राजस्थान के कई हिस्सों में बादलों ने राहत बरसाई भी लेकिन किसान का मन अभी भरा नहीं है। कारण साफ है कि खेत को जितना पानी चाहिए, उतनी बारिश नहीं होने से किसान को नुकसान तय है। पश्चिमी राजस्थान के दस जिलों में से सात में अब भी बरसात का आंकड़ा सामान्य तक भी नहीं पहुंच पाया है। वहीं श्रीगंगानगर, बाडमेर व जालौर तो सामान्य से आधी बारिश भी नहीं हो सकी है। ऐसे में इन क्षेत्रों में इस बार फसलों का उत्पादन भी कम होने की आशंका है।
मानसून पलटकर आया तो उम्मीद की गई थी कि पिछला हिसाब सुधरेगा और खेत की प्यास अब बुझ जायेगी। इसके विपरीत कुछ जिलों में तो महज बूंदाबांदी हो सकी। वहीं कुछ एरिया में सामान्य बारिश से फसलों की उम्मीद जगी है। जिन एरिया में पहले ही फसल जल चुकी है, वहां अब कितनी भी बारिश हो जाये, फसल उत्पादन में सुधार अब संभव नहीं है।
यहां कम हुई बारिश
पश्चिमी राजस्थान के जिन जिलों में बारिश कम हुई है उसमें श्रीगंगानगर और बाडमेर सबसे आगे है। इन दोनों जिलों में सामान्य से 51 परसेंट बारिश कम हुई है। बाडमेर में 217 एमएम बारिश आमतौर पर अब तक हो जाती है लेकिन अभी 106 एमएम बारिश हो सकी है। इसी तरह श्रीगंगानगर में अब तक 178 एमएम बारिश होनी थी लेकिन 87 एमएम बारिश हो सकी है। ऐसे में दोनों हीी जिलों में पचास प्रतिशत बारिश भ्ज्ञी नहीं हो सकी है। वहीं बीकानेर में 21 प्रतिशत, हनुमानगढ़ में सात प्रतिशत, जालौर में 49 प्रतिशत, जोधपुर में 34 व पाली में 37 प्रतिशत बारिश कम हुई है।
सिर्फ यहां हुई बारिश
पश्चिम राजस्थान में चूरू में सात प्रतिशत, जैसलमेर में पंद्रह प्रतिशत व नागौर में तीन प्रतिशत बारिश पिछले साल की तुलना में अधिक हुई है। इन जिलों में दूसरे दौर में कोई खास बारिश अब तक नहीं हुई है। पहले दौर की बारिश के कारण ही इस सीजन की बारिश अब तक सामान्य से अधिक है। फसलों को नुकसान इन जिलों में भी हुआ है क्योंकि अब जब पानी की जरूरत है, तब बरसात नहीं है।