चुनावों के बाद बढ़ेगी सियासी कलह:कांग्रेस ने जिला प्रमुख की जगह प्रधान को जिताने पर जोर दिया, इसलिए 3 जिला प्रमुख हारी; पूर्वी राजस्थान अब भी बीजेपी के लिए बड़ा चैलेंज
प्रदेश के 6 जिलों में हुए जिला प्रमुख और प्रधान के चुनावों में जनता ने कांग्रेस और बीजेपी को सियासी तौर पर चेतावनी वाले संकेत दिए हैं। इन चुनावों में कई जगहों पर मिलीभगत और भीतरघात के उदाहरण देखने को मिले। इसके कारण आगे आने वाले दिनों में सियासी कलह और बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार के मंत्री और विधायकों ने जिला प्रमुख चुनावों की जगह अपने क्षेत्र में प्रधान बनाने पर ही पूरा फोकस किया, इस वजह से जिला प्रमुख चुनाव में कांग्रेस जीती बाजी हार गई। बीजेपी ने केवल एक जगह सिरोही में बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस के बराबर तीन जिला प्रमुख बना लिए।
कांग्रेस और बीजेपी के लिए इन चुनावों के रिजल्ट के अलग-अलग सियासी मायने हैं। इन चुनावों से पूर्वी राजस्थान से यह संकेत मिले हैं कि बीजेपी इस क्षेत्र में अब भी अपनी पकड़ नहीं बना पाई है। भरतपुर जिले में तो कांग्रेस-बीजेपी दोनों की जगह निर्दलीयों का बोलबाला रहा। कांग्रेस ने ज्यादातर जगहों पर पार्टी का सिंबल देने की जगह निर्दलीय चुनाव लड़वाया। इन चुनावों में बीजेपी की रणनीति कई जगह कांग्रेस पर भारी थी। दोनों ही पार्टियों में स्थानीय स्तर पर गुटबाजी हावी रही। अब गुटबाजी और बढ़ने की आशंका है।
जयपुर जिला प्रमुख की हार ने कांग्रेस में गहलोत-पायलट कैंप के बीच फिर तल्खी बढ़ाई
जिला प्रमुख चुनाव में कांग्रेस खेमे में जयपुर, भरतपुर और दौसा में क्रॉस वोटिंग सामने आने के बाद कांग्रेसी खेमे में कलह हो गई है। सबसे ज्यादा कलह जयपुर को लेकर है, जहां बहुमत होते हुए भी उसके दो जिला परिषद सदस्य बीजेपी में जाने से पूरा सीन बदल गया। इस रणनीतिक चूक पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस की रिपोर्ट में सचिन पायलट समर्थक विधायक वेद प्रकाश सोलंकी को क्रॉस वोटिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया है। अब गहलोत और पायलट कैंप में फिर कलह शुरू हो गई है। जयपुर की हार के बाद गहलोत समर्थकों को अब पायलट कैंप पर निशाना साधने का मुद्दा मिल गया है। दोनों तरफ से तल्ख बयानबाजी शुरू हो चुकी है।
भरतपुर में दिग्गजों का सियासी कॉकटेल
भरतपुर में पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के बेटे ने बहुमत नहीं होने के बावजूद कांग्रेस और निर्दलीयों की मदद से जिला प्रमुख चुनाव जीता। भरतपुर में विधायकों और नेताओं की आपसी मिलीभगत से सियासी समीकरण बने और बिगड़े। जिला प्रमुख चुनाव में जीतने वाली बीजेपी के उप जिला प्रमुख के चुनाव में वोट करने केवल 3 सदस्य आए थे। राजनीतिक जानकार इसे उप जिला प्रमुख चुनाव में कांग्रेस को सुरक्षित मैदान देने से जोड़कर देख रहे हैं। भरतपुर कांग्रेस में नेताओं और नेता पुत्रों की भरमार है।
जोधपुर में बड़े नेताओं का सत्ता संघर्ष बढ़ेगा, कांग्रेस में खेमेबंदी तेज होगी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में बड़े नेताओं के बीच चुनावों के दौरान भारी खींचतान देखने को मिली थी। जिला प्रमुख चुनाव में लीला मदेरणा और मुन्नी देवी गोदारा के बीच चली खींचतान का असर आगे भी होगा। दोनों खेमे एक दूसरे पर सियासी हमले करेंगे। बीजेपी के भीतर भी खींचतान कम नहीं है। पंचायतीराज चुनावों से कांग्रेसी खेमे की फूट खूब उजागर हुई है।
दोनों पार्टियों के लिए सियासी मायने
प्रमुख और प्रधान के चुनाव के बाद कांग्रस और बीजेपी को गांवों में अपनी पकड़ के बारे में ताजा फीडबैक मिल गया है। कांग्रेसी खेमा चुनाव परणिामों को गहलोत सरकार के कामकाज पर जनता की मुहर के रूप में पेश करेगा। बीजेपी विपक्ष में होने के कारण इन परिणामों ने पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उपेनता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के कदम में इजाफा किया है।