Mon. Jun 16th, 2025

सात साल का रिकाॅर्ड टूटा:जुलाई व अगस्त में 68.2 एमएम, सितंबर के 12 दिन में ही 3.5 इंच बरसा पानी

पश्चिमी राजस्थान में इस बार मानसून की बेरुखी ने किसानों को चौकाया, डराया और अब फिर से मेहरबान होने से टूटी उम्मीदों को वापिस जिंदा भी किया है। बुआई के समय ज्यादा मेहरबान नहीं रहा, लेकिन अब सितंबर में बारिश रिकार्ड तोड़ रही है। जिले के अधिकांश हिस्सों में दस दिनों में मूसलाधार बारिश से जली फसलें फिर से जिंदा हो गई।

7 साल बाद सितंबर में बारिश ने रिकार्ड तोड़े है। जुलाई और अगस्त में बाड़मेर जिले में औसत 68.2 एमएम बारिश हुई थी, जबकि सितंबर के महज 12 दिन में ही रिकार्ड 84 एमएम बारिश हुई है। हालांकि जून, जुलाई और अगस्त में पर्याप्त बारिश नहीं होने जिन किसानों ने बुआई थी, उसमें अधिकांश फसलें जल गई। अब सितंबर की मूसलाधार बारिश के बाद जली फसलें भी जिंदा हुई और 30-40 फीसदी सुकाल की स्थिति बन गई है।

बाड़मेर जिले में पिछले 3 दिन से रोज बारिश हो रही है। जिले की सभी तहसील क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई है। सूखे से जूझ रहे बाड़मेर में बारिश से किसानों के चेहरों पर खुशी लौट आई। पिछले तीन दिन में सेड़वा में सबसे ज्यादा 137 एमएम बारिश हुई। शनिवार रात और रविवार को भी जिले में मूसलाधार बारिश का दौर चला।

बारिश के बाद पहाड़ों से झरने चले। जसाई पहाड़ियाें से बहते झरनों को लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया। बाड़मेर शहर में भी दोपहर बाद करीब 4 बजे तेज हवा के साथ बारिश का दौर शुरू हुआ, जो करीब 10 मिनट तक चला। इससे सड़कों पर पानी बहने लगा। रविवार को बाड़मेर, चौहटन, धोरीमन्ना, सिवाना व बालोतरा इलाके में कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश हुई।

सावन के बाद आधा भादो सूखा बीता, चार दिन से हो रही बारिश से बाड़मेर में बहने लगे झरने, 30% फसलों को जीवनदान

जिले में 10 दिन की बारिश से 30-40 प्रतिशत सुकाल
बाड़मेर इस बार भयंकर अकाल से जूझ रहा था। बाड़मेर में सूखे चारे की दरे 600-700 रुपए प्रति मण तक पहुंच गई थी, लेकिन सितंबर माह में इंद्र देव के मेहरबान होने से जली फसलों को जिंदा ही नहीं किया, बल्कि सालभर पीने का पानी और पशुओं के लिए हरे चारे का भी इंतजाम हो गया।

जिस सूखे चारे की दरें 600-700 रुपए पहुंच गई थी, अब वो वापिस 350-400 रुपए तक आ गई है। बारिश के बाद खेतों में हर तरफ हरियाली लौट आई है। जो किसान उम्मीद ही छोड़ चुके थे, अब उन खेताें में फिर से बाजरा, ग्वार लहलहाने लगा है। 10 दिन की बारिश से किसानों की टूटी उम्मीदों को पंख दिए है। करीब 30-40 फीसदी सुकाल की स्थिति बन गई।

विश्लेषण: 3 तहसील में ज्यादा, 7 में सबसे कम बारिश

  • सबसे ज्यादा: जुलाई से अब तक गडरारोड 326, सेड़वा 228, समदड़ी में 212 एमएम बारिश हुई।
  • मध्यम: जुलाई से अब तक रामसर 130, गिड़ा 144, सिणधरी 143, धोरीमन्ना 172, सिवाना 168 एमएम बारिश हुई।
  • सबसे कम: जुलाई से अब तक बायतु में 84, बालोतरा में 92, शिव में 103, चौहटन में 110, गुड़ामालानी 119, बाड़मेर में 125, पचपदरा 114 एमएम बारिश हुई है।
  • अब तक का रिकाॅर्ड: सितंबर में अब तक का सर्वाधिक बारिश होने का रिकार्ड सितंबर 1944 में 663.5 एमएम बारिश दर्ज हुई।
  • आज ही के दिन वर्ष 1944 में 255.3 एमएम बारिश हुई थी: आज का दिन बाड़मेर के इतिहास में सितंबर माह के एक दिन में सर्वाधिक बारिश के नाम दर्ज है। 13 सितंबर 1944 को एक ही दिन के 24 घंटे में बाड़मेर में सर्वाधिक 255.3 एमएम यानि 10 इंच बारिश हुई थी।

7 साल बाद सितंबर में रिकाॅर्ड
वर्ष बारिश

2020- 65
2019- 83
2018 – 3.6
2017- 13.2
2016 – 0.0
2015 – 47.3
2014 – 65.6

17 से फिर बाड़मेर में बारिश की उम्मीद
बंगाल की खाड़ी में बने लो प्रेशर एरिया के कारण सूरत-भावनगर इलाके में कम चक्रवात बना हुआ है। इसी वजह से पश्चिमी राजस्थान बाड़मेर, जालाेर, सिराेही, पाली, जोधपुर इलाके में बारिश हो रही है। 13-14 का हवा का दबाव बनने के साथ ही 16 सितंबर से फिर सक्रिय होगा। इससे 17-18 सितंबर को बाड़मेर में बहुत तेज बारिश की संभावना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed