इंदौर में निजी हाथों में कैसे पहुंच गई सरकारी जमीन, जांच शुरू
इंदौर। इंदौर शहर के सिरपुर क्षेत्र में सर्वे नंबर 525 की 443 एकड़ सरकारी जमीन होलकर राजवंश की महारानी उषाराजे होलकर के नाम होने के मामले में अफसरों ने जांच शुरू कर दी है। यह बात किसी को गले नहीं उतर रही कि सरकारी अभिलेखों में दर्ज इतनी बड़ी सरकारी जमीन खिसककर निजी नामों पर कैसे हो गई। इसमें पुराने अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। जांच अधिकारियों ने बताया कि हम जमीन से जुड़े पुराने दस्तावेज जुटा रहे हैं। इसमें कुछ समय लगेगा। जांच में यह भी देखा जाएगा कि होलकर के बाद यह जमीन और किन-किन लोगों को कैसे बिकी और किस व्यक्ति ने किसको रजिस्ट्री की। पंजीयन विभाग से भी इसकी जानकारी मांगी जाएगी। प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर की अगुआई में एसडीएम, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पटवारियों की टीम जांच में लगी है।
अब भी चल रहा अवैध निर्माण : एक तरफ प्रशासन मामले की जांच कर रहा है तो दूसरी तरफ इसी जमीन के एक हिस्से पर अब भी अवैध निर्माण हो रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अतिक्रमण करने वालों को नोटिस जारी किए जाएंगे और काम रुकवाया जाएगा।
शहर के सिरपुर तालाब के कैचमेंट एरिया से लगी 443 एकड़ जमीन 1963 तक शासकीय थी, लेकिन इसके बाद वह अचानक होलकर राजवंश की महारानी उषाराजे होलकर के नाम हो गई। इसके बाद यह जमीन बिकती चली गई और आज इस पर विदुर नगर, प्रजापत नगर जैसी अवैध कालोनियां बस गई हैं। बाजार मूल्य के हिसाब से यह जमीन एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की है। अधिकारियों के अनुसार 1925 में मिसल बंदोबस्त से लेकर 1962-63 तक यह जमीन विश्रामबाग फारेस्ट के नाम से शासकीय भूमि के रूप में दर्ज थी। इसके बाद 1964 में अचानक इस जमीन पर उषाराजे होलकर का नाम आ गया। राजस्व रिकार्ड में इस जमीन का मूल सर्वे नंबर 525 है। आज भी इस जमीन पर अवैध तरीके से जमीन की खरीदी-बिक्री हो रही है।