चेस चैंपियन:8 साल की उम्र में दूसरी बार चेस के नेशनल चैंपियन बने माधवेंद्र, कुछ साल पहले दादा की माेहरें संभालते थे
भाेपाल ये हैं 8 साल के माधवेंद्र शर्मा। चेस बाेर्ड में इनकी कमांड ऐसी है कि आंखों में पट्टी बांधकर किसी काे भी मात दे दें। बुधवार काे माधवेंद्र ने नेशनल चेस चैंपियनशिप (अंडर-8) का खिताब अपने नाम किया। वे दूसरी बार नेशनल चैंपियन बने हैं।
उन्होंने पहली बार 5 साल की उम्र में यह गौरव हासिल किया था। साढ़े चार साल की उम्र में चेस खेलना शुरू करने वाले माधवेंद्र वेस्टर्न एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड और सिल्वर (स्टैंडर्ड व रैपिड) भी जीत चुके हैं। सेंट जेवियर स्कूल की तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले माधवेंद्र ने चेस का क, ख, ग अपने दादा ओमप्रकाश शर्मा से सीखा है। दादा भेल के रिटायर्ड कर्मचारी हैं और घर में दोस्तों के साथ चेस खेलते रहते थे। तब 3-4 साल के माधवेंद्र दादा की मोहरें संभालते थे और उनके साथ खेलते रहते थे। यहीं से माधवेंद्र का चेस में मन लग गया। हालांकि उनके पिता महेंद्र शर्मा को यह पसंद नहीं था, लेकिन बाद में मान गए।
विश्व चैंपियन बनना ख्वाब
माधवेंद्र कहते हैं कि मैं विश्व चैंपियन बनना चाहता हूं। वे मशहूर चेस खिलाड़ी विश्नाथन आनंद को अपना आदर्श मानते हैं। हालांकि वे उनसे कभी नहीं मिले, लेकिन उन्होंने पूर्व वर्ल्ड चैंपियन से मिलने की तैयारी कर रखी है। माधवेंद्र कहते हैं कि जब मैं उनसे मिलूंगा तो पूछूंगा कि जब वे हारते हैं तो गेम को कैसे एनालाइज करते हैं।
नाकामूरा के वीडियाे देखकर सीख रहे हैं
पिता महेंद्र बताते हैं कि माधवेंद्र राेज 5-6 घंटे अभ्यास करते हैं। वो ऑनलाइन क्लास के साथ नाकामूरा के वीडियाें देखकर ब्लाइंड सीख रहे हैं। इसमें आंख में पट्टी बांधकर खेलना होता है। दादा भी इसकी प्रैक्टिस कराते हैं। चेस बोर्ड के 64 खाने बेटे के दिमाग में फिट हैं, वो छोटे गेम आंख में पट्टी बांधकर जीत लेते हैं।