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मंत्रिमंडल फेरबदल, जिलाध्यक्षों की नियुक्ति और पायलट खेमे की मांगों पर काम होगा, चुनावी साल से पहले बड़े बदलावों का रोडमैप तैयार

पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री से लेकर बड़े बदलावों के बाद अब कांग्रेस हाईकमान राजस्थान पर फोकस कर सकता है। राजस्थान में मुख्यमंत्री की तबीयत ठीक होने के बाद सत्ता और संगठन में बदलावों की शुरुआत होगी। पहले फेज में मंत्रिमंडल फेरबदल और इसके बाद जिलाध्यक्षों की नियुक्ति होनी है। मंत्रिमंडल फेरबदल में नए चेहरों को मौका देने के साथ विवादित और नोॅन परफॉर्मर चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाया जाना तय है।

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच जारी खींचतान को मिटाने के लिए हाईकमान के स्तर पर अब कड़े फैसले लिए जाने की आशंका है। पिछले साल बगावत के बाद सुलह के वक्त सचिन पायलट खेमे के मुद्दों के समाधान की सहमति बनी थी। सुलह कमेटी पायलट खेमे के मुद्दों को चिन्हित कर हाईकमान से चर्चा कर चुकी है। पायलट ग्रुप अब अपने मुद्दों के समाधान की मांग कर रहा है। बताया जाता है कि अब मंत्रिमंडल फेरबदल से लेकर सत्ता-संगठन की नियुक्तियों में पायलट समर्थकों को भी मौका मिलेगा। शेयरिंग फॉर्मूले के हिसाब से पायलट गुट अपनी भागीदारी चाहता है।

हाईकमान को मिल चुकी रिपोर्ट
प्रदेश प्रभारी अजय माकन 29-30 जुलाई को जयपुर में सभी ​कांग्रेस विधायकों और वरिष्ठ नेताओं से वन टू वन मुलाकात करके उनका मन टटोल चुके हैं। विधायकों और नेताओं से मिले फीडबैक के आधार पर अजय माकन कांग्रेस हाईकमान को रिपोर्ट दे चुके हैं। कांग्रेस हाईकमान राजस्थान में बदलावों का ब्ल्यू प्रिंट तैयार कर चुका है। अब अगले महीने से इनकी शुरुआत हो सकती है।

राजस्थान में कई फेज में बदलाव का फॉर्मूला
राजस्थान में पंजाब की तरह सबसे पहले टॉप लेवल पर बदलाव की जगह शुरुआत मंत्रियों और संगठन से की जाएगी। कई फेज में बदलाव का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है। राजस्थान में पंजाब या छत्तीसगढ़ की तरह कांग्रेस के पास प्रचंड बहुमत नहीं है। राजस्थान में विधायकों की नाराजगी का स्तर भी वह नहीं है। पंजाब में अमरिंदर के प्रति था। राजस्थान में गहलोत गठबंधन वाली सरकार चला रहे हैं। इसलिए मुख्यमंत्री स्तर पर जल्दी बदलाव की संभावना नहीं है। चुनावी साल से पहले बदलाव संभव है।

पंजाब के घटनाक्रम के बाद हलचल बढ़ी

पंजाब के घटनाक्रम के बाद राजस्थान में अंदरूनी तौर पर कांग्रेस में हलचल बढ़ गई है। मंत्री और नेता हाईकमान के फैसले की टोह लेने में लग गए हैं। गुपचुप सियासी मुलाकातों का दौर चल रहा है। कांग्रेस में हर कोई संभावित बदलावों को लेकर कयास लगा रहा है। इस बार पंजाब के बदलावों के बाद सचिन पायलट खेमे से जुड़े नेता रणनीतिक रूप से चुप हैं। पिछली बार जब नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान ने मुद्दों के समाधान के लिए बुलाया था, तब पायलट समर्थक विधायकों ने अनसुलझे मुद्दों के समाधान की की मांग मुखर होकर उठाई थी। इस बार पायलट समर्थकों की चुप्पी रणनीतिक बताई जा रही है।

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