हस्तशिल्प के प्रचार को खासी गंभीर उत्तराखंड सरकार, अब हर साल11 हस्तशिल्पियों को शिल्प रत्न अवार्ड
देहरादून। सरकार उत्तराखंड की पारंपरिक हस्तशिल्प कला के प्रचार-प्रसार को लेकर खासी गंभीर है। इसके लिए राज्य में अब हर वर्ष 11 हस्तशिल्पियों को शिल्प रत्न अवार्ड प्रदान किया जाएगा। यह घोषणा सोमवार को औद्योगिक विकास मंत्री गणेश जोशी ने की। यह अवार्ड राज्य की पारंपरिक हस्तशिल्प कला को जीवित रखने और उसके उत्थान के लिए प्रयत्नशील हस्तशिल्पियों को राज्य सरकार की तरफ से दिया जाता है। अब तक हर वर्ष चार हस्तशिल्पियों को यह अवार्ड दिया जाता रहा है।
औद्योगिक विकास मंत्री सोमवार को पटेलनगर औद्योगिक क्षेत्र स्थित उद्योग निदेशालय परिसर में बने हिमाद्रि इंपोरियम के नए शोरूम का उद्घाटन करने के बाद शिल्प रत्न अवार्ड समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति ही नहीं लोक कला भी गौरवमयी है। चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा आदि जिले में हस्तशिल्पी धातु, लकड़ी आदि की वस्तुओं पर बेहतरीन नक्कासी करने के साथ भेड़ की ऊन से आकर्षक वस्त्र, रिंगाल से टोकरी व सजावटी सामान तैयार करते हैं। इस तरह ये हस्तशिल्पी न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, बल्कि राज्य की लोक कला को भी जीवित रखे हैं। हिमाद्रि की तरफ से इनको प्रोत्साहित किया जा रहा है।
औद्योगिक विकास मंत्री ने कहा कि हिमाद्रि के आकर्षक पहाड़ी उत्पादों को प्रदेश के सभी होटल के स्वागत कक्ष में सुंदरीकरण के लिए इस्तेमाल करने की योजना उद्योग विभाग और सिडकुल को बनानी होगी। जिससे देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इन आकर्षक पहाड़ी उत्पाद से परिचित हो सकें। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि हिमाद्रि इंपोरियम में रखे जाने वाले उत्पादों की सूची तैयार करें। साथ ही बाहरी राज्यों के स्थानीय उत्पादों से उनकी तुलनात्मक रेट लिस्ट जारी करें।
अगर राज्य के उत्पादों की लागत अधिक आ रही है तो सरकार बुनकर व हस्तशिल्पियों को कुछ रियायत दे सकती है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि विभाग उत्पादों की मार्केटिंग पर विशेष ध्यान दें। इस मौके पर उद्योग सचिव राधिका झा, सिडकुल के महानिदेशक रोहित मीणा, उद्योग निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता आदि मौजूद रहे।
निर्यात डिविजन तैयार करे विभाग
कार्यक्रम में धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने सुझाव दिया कि उद्योग विभाग पहाड़ी उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए अलग निर्यात डिविजन बनाए। उन्होंने कहा कि बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए हमें हिमाद्रि के उत्पादों के लिए बड़े स्तर पर मार्केटिंग करनी होगी। बुनकरों को कच्चे माल में सरकार के स्तर से रियायत देने का भी सुझाव दिया।