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बांग्लादेश में रोहिंग्या नेता की हत्या:रिफ्यूजी कैंप में चरमपंथियों ने मोहिबुल्लाह को गोली मारी, लाखों शरणार्थियों की आवाज हमेशा के लिए शांत

बांग्लादेश में रोहिंग्या नेता मोहिबुल्लाह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। 50 साल के मोहिबुल्लाह को दक्षिणी बांग्लादेश के एक शरणार्थी शिविर में गोली मारी गई। वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोहिंग्या शरणार्थियों की आवाज को उठाने के लिए जाने जाते थे।

पुलिस बटालियन के कमांडर नैमुल हक ने बताया कि अज्ञात हमलावरों ने कॉक्स बाजार जिले के कुटुपलोंग शरणार्थी शिविर में मोहिबुल्लाह को गोली मारी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। किसी भी संगठन ने अभी तक मोहिबुल्लाह के हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है।

अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने रखी थी शरणार्थियों की बात
मोहिबुल्लाह 2019 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ धार्मिक स्वतंत्रता पर मीटिंग के लिए व्हाइट हाउस पहुंचे थे। मीटिंग में म्यांमार में रोहिंग्याओं के उत्पीड़न की बात रखी थी। उसी साल उन्होंने म्यांमार सेना की कार्रवाई की दूसरी सालगिरह पर 2 लाख शरणार्थियों की विशाल रैली का नेतृत्व किया। इस वजह से उन्हें बांग्लादेशी मीडिया की आलोचना का सामना करना पड़ा।

मानवाधिकार संस्थाओं ने जताया दुख
मानवाधिकारों की वकालत करने वाली संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने मोहिबुल्लाह को रोहिंग्या कम्युनिटी की आवाज बताया। संस्था की दक्षिण एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा कि उन्होंने हमेशा रोहिंग्याओं के सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी की बात की। उनकी हत्या से रोहिंग्या की आजादी बात करने वाले लोगों को होने वाले खतरे का पता चलता है।

उन्होंने कहा कि मोहिबुल्लाह की मौत न केवल रोहिंग्या शरणार्थियों के संघर्ष को कमजोर करती है, बल्कि म्यांमार सुरक्षित लौटने के प्रयास को भी कमजोर करती है। अधिकारियों को मोहिबुल्लाह की हत्या के साथ ही शिविरों में रोहिंग्या कार्यकर्ताओं पर हमलों की तत्काल जांच करनी चाहिए।

दुनिया का सबसे बड़ा रिफ्यूजी कैंप है कॉक्स बाजार
म्यांमार सेना की कार्रवाई के कारण मोहिबुल्लाह समेत करीब 7 लाख रोहिंग्याओं को पड़ोसी बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी थी। बांग्लादेश में फिलहाल 11 लाख से भी ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी मौजूद हैं। बांग्लादेश में शरण लेने वाले अधिकांश रोहिंग्या मुसलमानों ने कॉक्स बाजार कैंप में शरण ली है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर कहा जाता है।

कट्टरपंथियों के निशाने पर थे मोहिबुल्लाह
रोहिंग्या समुदाय की वकालत करने की वजह से मोहिबुल्लाह कट्टरपंथियों के निशाने पर थे। उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिली थी। 2019 में उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा था कि अगर मैं मर गया तो चिंता की कोई बात नहीं, मैं अपनी जान देने के लिए तैयार हूं।

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