राहत के प्रावधान:पुरानी आबादी के पट्टे लीज फ्री किए, दुकानों का मिल सकेगा रूफ राइट
जयपुर नगरीय विकास विभाग ने तीन चरण में चलने वाले प्रशासन शहरों के संग अभियान को लेकर कई पैमाने तय किए हैं। इसमें अब पुरानी और सघन स्थाई आबादी वाली बस्तियों में फ्री होल्ड पट्टे का प्रावधान किया है। इतना ही नहीं पुरानी आबादी के फ्री होल्ड पट्टे लीज फ्री भी किए गए हैं। साथ ही दुकानों की छत के अधिकार की बड़ी समस्या का समाधान करने दुकानों की रूफ राइट देने का भी प्रावधान जोड़ा गया है।
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 69-ए को मंत्री ने जादुई धारा बताया था, इसके तहत अब गैर कृषि आबादी भूमि में पट्टे मिलेंगे। अब 3000 वर्गगज तक के भूखंडों का पुनर्गठन व विभाजन स्थानीय स्तर पर किया जा सकेगा। नगर निगम को 200 वर्गगज तक के खांचा भूमि आवंटन के अधिकार होंगे। केवल आरक्षित दर की राशि जमा करानी होगी। वहीं ईडब्ल्यूएस, एलआईजी 60 वर्गमीटर से कम क्षेत्रफल के भूखंडों, आवासों की बकाया राशि जमा कर नियमन का अधिकार स्थानीय निकायों को दे दिया है। उनके लिए तय किया है कि बकाया राशि जमा कराओ और पट्टे ले सकते हैं।
अब राजकालीन पट्टे के बदले ले सकेंगे फ्री होल्ड पट्टे
अभियान में बड़ी राहत उन पुरानी बस्तियों को मिलने वाली हैं, जिनके पास राजकालीन पट्टे हैं। राजा-महाराजाओं के काल में जो पट्टे दिए गए थे, उन्हें जमा करवाकर फ्री होल्ड पट्टे लिए जा सकेंगे। मकान मालिकों को एक रुपया शुल्क जमा करवाना होगा।
10 साल की लीज राशि एक मुश्त दो और फ्री होल्ड पट्टा ले जाओ
आवासीय इलाकों में भूमि एवं भवनों का स्वामित्व संयुक्त या आपसी बंटवारा होने पर मौके की स्थिति अनुसार संयुक्त या अलग-अलग पट्टा दिया जाएगा। इसमें उप विभाजन पुनर्गठन नियम लागू नहीं होंगे। जिन भूखंड मालिकों ने पूर्व में लीजडीड ले रखी है, वे अपनी 10 साल की लीज राशि एकमुश्त जमा करवाकर फ्री होल्ड पट्टा ले सकेंगे।
पूर्व घोषणाओं के भी नियम
- प्रदेश में अब 500 वर्गमीटर तक के भूखंडों पर साइट प्लान अनुसार राशि जमा करा निर्माण करा सकेंगे।
- भूखंड पर निर्धारित अवधि में निर्माण नहीं करने पर 31 मार्च 2022 तक पुनर्ग्रहण राशि वसूल कर निर्माण अवधि बढ़ाई जाएगी। ब्याज व शास्ति में छूट मिलेगी।
- ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, एमआईजी-ए, एएमआईजी-बी और एचआईजी के आवासों की बकाया किस्तें बिना ब्याज शास्ति के 31 मार्च 2022 तक जमा करवाकर पट्टा दिया जाएगा।