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पुुरानी और कच्ची बस्तियों के नियम बदले:अब अपने आवास के सरकारी दस्तावेज नहीं तो शपथ-पत्र से भी ले सकेंगे पट्टे

जयपुर राज्य सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान में पुरानी बस्ती, परकोटा, चार दीवारी, अकृषि भूमि आदि के संबंध में नियमों में बड़ी राहत दी है। अब किसी ऐसी बस्ती के निवासियों के पास घर के मूल दस्तावेजों की कड़ी में कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है तो भी इस संबंध में आवेदक से शपथ पत्र लेकर पट्टा दिया जाएगा। यह नियम प्रशासन शहरों के संग अभियान के चलने के दौरान ही प्रभावी होगा।

यूडीएच और स्वायत्त शासन ने संयुक्त रूप से इस आदेश को सभी 193 शहरी निकायों, निगम, पालिकाओं, प्राधिकरणों और यूआईटी के लिए जारी किया। आदेश के अनुसार नियमों में आंशिक संशोधन करते हुए 1 जनवरी 1992 के पूर्व की संपत्तियों के बेचाननामा, बंटवारे के आधार पर आवेदक को मकान का अधिकार प्राप्त होने पर मूल दस्तावेज नहीं होने पर शपथ पत्र लेकर भी कोई दो दस्तावेज देने पर फ्री होल्ड पट्टा जारी किया जा सकेगा।

आपसी सहमति से प्लाट का उप वि‍भाजन कर रखा है तो मौके की स्थिति के अनुसार पट्टा दिया जाए। एक जनवरी 1992 से 31 दिसंबर 2018 के बीच निर्मित संपत्तियों के संबंध में स्वामित्व का मूल दस्तावेज आवश्यक किया गया है।

कच्ची बस्ती की कटऑफ फिक्स
कच्ची बस्तियों में पट्टे जारी करने के लिए कब्जेधारियों के कब्जे की कट ऑफ डेट 15 अगस्त 2009 रखी गई है। इसके अलावा न्यूनतम सड़क चौड़ाई 15 फीट निर्धारित की गई है। प्रशासन शहरों के संग अभियान में कच्ची बस्तियों में अगस्त 2009 तक निवास करने वाले पट्टे से वंचित शेष परिवारों को ही पट्टे दिए जाएंगे।

उच्चतम न्यायालय ने कच्ची बस्तियों के नियमन की अनुमति दे रखी है। अब तक प्रदेश में सर्वे के आधार पर चिन्हित कच्ची बस्तियों के कब्जों का नियमन किया गया है और 65 हजार परिवारों को पट्टे जारी किए गए हैं।

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