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शेखावाटी में पावरफुल झुंझुनूं:8 साल बाद मंत्रिमंडल में झुंझुनूं, इस बार 4 की जगह 2 ही विधायक मंत्री बन सके, दो सीएम के सलाहकार

झुंझुनूं राजनीति में हमेशा से अपना अच्छा प्रभाव रखने वाले झुंझुनूं काे इस बार सरकार के गठन के तीन साल बाद मंत्रिमंडल में जगह ताे मिली, लेकिन यह उम्मीदाें से कम रही है। झुंझुनूं से दाे विधायकाें झुंझुनूं विधायक बृजेंद्र ओला और उदयपुरवाटी विधायक राजेंद्रसिंह गुढ़ा ने बतौर राज्यमंत्री शपथ ली। मंत्री पद के दावेदार दो विधायकों डॉ जितेंद्रसिंह और डॉ. राजकुमार शर्मा को बतौर मुख्यमंत्री के सलाहकार नियुक्ति दी गई है।

ये दोनों ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी हैं और शुरू से ही माना जा रहा था कि सामंजस्य बनाए रखने के लिए इन दोनों को भी काेई बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। सलाहकार बनाए गए दोनों विधायकों को विभागों से अटैच किया जाएगा साथ ही मंत्री की तरह स्वतंत्र रूप से काम करने की शक्ति दी जाएगी। कांग्रेस की पिछली सरकार की बात करें ताे 2008 में डाॅ. जितेंद्रसिंह, राजेंद्रसिंह गुढ़ा, राजकुमार शर्मा और बृजेंद्र ओला मंत्री थे और दिसंबर 2013 में चुनाव तक मंत्री रहे।

जिले में सत्तारूढ़ पार्टी के सात में छह विधायक हैं। यह पहला माैका है जब इतने विधायक हाेने के बावजूद जिले काे मंत्रिमंडल के साथ-साथ राजनीतिक नियुक्तियाें और संगठन में भी काेई विशेष भूमिका नहीं मिली है। 2008 से 2013 के बीच जिन चारों विधायकों को अहम मंत्रालय दिए गए थे। इस बार उनमें से दो को ही राज्यमंत्री बनाया गया है। जबकि दो सलाहकार होंगे।

गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में चार मंत्रियों के अलावा बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां भी की गई थी। किठाना निवासी रणदीप धनखड़ काे आरटीडीसी का चेयरमैन बनाया था। इसी प्रकार नूआं निवासी रिटायर्ड आईजी लियाकत अली खान वक्फ बाेर्ड केचेयरमैन बनाए गए थे। नवलगढ निवासी वीरेंद्र पूनिया काे सीनियर सिटीजन बाेर्ड का चेयरमैन बनाया गया था।

ऐसे में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री झुंझुनूं से अभी अहम राजनीतिक पदों पर नियुक्तियां कर सकते हैं। इधर, शेखावाटी के सीकर एवं चूरू जिले काे अभी काेई स्थान नहीं मिल पाया है। सीकर से कई विधायक मंत्री के प्रबल दावेदार थे। इसके बावजूद मंत्रिमंडल में स्थान नहीं बना पाए। तीन साल पहले सरकार के गठन के समय झुंझुनूं से काेई मंत्रिमंडल में शामिल नहीं था।

बल्कि सीकर से गाेविंदसिंह डाेटासरा शिक्षा मंत्री एवं चूरू जिले से मास्टर भंवरलाल मेघवाल काे कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। मास्टर भंवरलाल मेघवाल का निधन हाे जाने एवं गाेविंद सिंह डाेटासरा के इस्तीफा दिए जाने के बाद यह संभावना थी कि इस संतुलन काे बनाए रखने के लिए सीकर व चूरू से एक- एक मंत्री बनाए जा सकते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस बार सीकर व चूरू जिले के विधायकाें काे शामिल नहीं किया है।

जबकि सीकर जिले के चार विधायक दीपेंद्रसिंह शेखावत, राजेंद्र पारीक, महादेवसिंह खंडेला व परसराम मोरदिया दावेदार थे। चूरू जिले से नरेंद्र बुडानिया दाैड़ में थे। कुल मिलाकर देखा जाए तो मंत्रिमंडल में फेरबदल शेखावाटी के लिए कुछ विशेष नहीं लेकर आया है।

इस्लामपुर की बेटी बनी कैबिनेट मंत्री
गहलाेत सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में इस्लामपुर का कद बढ़ा है। सिकराय दाैसा विधायक ममता भूपेश इस्लामपुर की बेटी हैं। पहले वे गहलाेत सरकार में राज्यमंत्री थी। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ममता भूपेश काे कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। ममता भूपेश के कैबिनेट मंत्री बनने पर उनके पीहर इस्लामपुर में खुशी का माहाैल है।

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